ओजस्विनी ने "आज़ाद पार्क की उचित देखरेख: सुरक्षा, सुविधा तथा सौंदर्यीकरण" विषय पर की अॉनलाइन परिचर्चा

ओजस्विनी ने "आज़ाद पार्क की उचित देखरेख: सुरक्षा, सुविधा तथा सौंदर्यीकरण" विषय पर की अॉनलाइन परिचर्चा

-आज़ाद पार्क में सुरक्षा, सुविधा तथा सौंदर्यीकरण की परम आवश्यकता है: डॉ प्रियदर्शनी
रिपोर्टःडीके पंडित
गयाबिहार
गया। अन्तरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद की सहयोगी संस्था ओजस्विनी द्वारा जिलाध्यक्षा डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी के निर्देशन में गया शहर के निवासियों के हितार्थ एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अॉनलाइन कार्यक्रम का विषय था-"आज़ाद पार्क की उचित देखरेख: सुरक्षा, सुविधा तथा सौंदर्यीकरण"।  ज्ञात हो कि विगत 28 जून को ओजस्विनी (अहिप) द्वारा आज़ाद पार्क में पौधरोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। पौधरोपण के दरम्यान उपस्थित सदस्यों ने आजाद पार्क में कुछ असभ्य लोगों को जुआ तथा ताश खेलते पाया, कुछ लोग गांजा पीकर बेसुध पड़े हुए थे, ठहाके लगाते तथा घूरते हुए असामाजिक तत्वों का जमावड़ा-सा था, जिसे देख कर युवतियाँ, समूह में होने के बावजूद भी, काफी असहज महसूस कर रही थीं। अहिप तथा बजरंग दल के अधिकारियों ने भी नशे में धुत्त लोगों को देखकर नाराजगी जताई। ओजस्विनी अध्यक्षा ने इन सभी मुद्दों को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन तथा संबंधित अधिकारियों से आज़ाद पार्क में सुरक्षा-व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने, पेयजल, साफ-सफाई, डस्टबिन्स, पर्याप्त मात्रा में कुर्सियों तथा ट्वायलेट आदि आवश्यक सुविधाओं को उपलब्ध करवाने के साथ-साथ सौंदर्यीकरण हेतु प्रभावी कदम उठाने का अनुरोध किया है, ताकि हमारे गया शहर की गरिमा पर आँच न आने पाए। डॉ प्रियदर्शनी ने कहा कि आज़ाद पार्क में जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन भवन भी अवस्थित है, जहाँ लगभग हर सप्ताह साहित्यकार गण काव्य संध्या हेतु एकजुट होते हैं। पार्क परिसर में पूरे वर्ष विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक तथा सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन होता ही रहता है, ऐसे में पार्क म़े आवारा मवेशियों तथा कुत्तों का इधर-उधर घूमते पाया जाना, सुरक्षाकर्मियों की अनुपस्थिति, नशासेवन तथा अन्य असामाजिक गतिविधियों का पाया जाना गया शहर की जनता और प्रशासनिक व्यवस्था दोनों की ही जागरूकता का उपहास उड़ाता मालूम होता है।  महिलाओं के लिए तो वह जगह अत्यंत असुरक्षित है। गाँधी मैदान की भी लगभग ऐसी ही स्थिति है। उन्होंने काव्यात्मक शैली में  कहा कि
आज़ाद पार्क गया में खुली आज़ादी है ताश और जुए में मन रमाने की। गाँजे के धुएं का लुत्फ उठाते-उठाते टांगें फैलाकर बेफिक्र सो जाने की।।आज़ाद पार्क गया में खुली आज़ादी है कुत्ते, भैंस, खच्चरों व गदहों को आने की। महिलाएँ दिख जाएँ तो एकटक घूरने, फब्तियाँ कसने एवं ठहाके लगाने की।आज़ाद पार्क गया में यों तो अनेक धार्मिक जलसे होते हैं हर वर्ष, फिर भी। मांग उठती नहीं कभी भी क्यों, पार्क को सभ्य लोगों के लायक बनाने की?

शहर के पार्कों तथा खेल के मैदानों म़े उपस्थित कुव्यवस्था पर ओजस्विनी के सदस्यों ने बारी-बारी से अपने विचार रखे तथा अपेक्षित सुधार हेतु गुहार लगाई। विज्ञान शिक्षिका डॉ ज्योति प्रिया ने कहा कि पार्क में पीने के जल तथा साफ-सफाई की भी व्यवस्था ठीक नहीं है, जो अति निंदनीय है। बंगलोर से जुड़ी गया की समाजसेवी महिला रेणु रौनियार ने कहा ओजस्विनी के द्वारा इन मुद्दों को उठाया जाना अति सराहनीय कार्य है। इस दिशा में जनता, प्रशासन और अन्य समाजसेवी संस्थाओं को भी एकजुट होकर आवाज़ उठाने तथा मिलजुलकर कार्य करने की ज़रूरत है।देवघर से जुड़ी प्राध्यापिका डॉ नूतन शर्मा ने कहा कि पार्क ऐसे बनाए जाने चाहिए जहाँ योगासन, व्यायाम तथा खेलकूद हेतु स्वच्छ, स्वस्थ तथा सुरक्षित माहौल हो। ओजस्विनी की जिला महामंत्री शिल्पा साहनी ने भी आज़ाद पार्क की समुचित देखरेख पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि वहाँ हम समूह में जाकर भी अच्छा महसूस नहीं कर रहे थे, युवतियों, महिलाओं यहाँ तक सभ्य पुरुषों के लिए भी वहाँ अकेले जाना सुरक्षित नहीं लगता। अमीषा भारती ने कहा कि पार्क की छवि खराब होने के कारण पेरेंट्स ने उन्हें वहाँ पौधरोपण हेतु जाने की अनुमति नहीं दी। वर्षा रानी ने कहा गेट से अंदर प्रवेश करते ही ट्वायलेट तथा बाथरूम की दुर्गन्ध का सामना करना पड़ता है, जिससे हमारे गया शहर की प्रतिष्ठा पर आँच आती दिख रही है।  दीक्षा ने कहा कि उनका घर आज़ाद पार्क के पास ही है फिर भी वे कभी भी वहाँ क्रिकेट, बैडमिंटन तथा वॉलीबॉल जैसे खेल खेलने हेतु जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाईं।  दीपशिखा के अनुसार पार्क में झूले, एवं बच्चों के मनोरंजन हेतु खेलकूद की भी सामग्रियाँ उपलब्ध होतीं, तो बहुत ही अच्छा होता। कृति प्रकाश ने कहा कि पार्क में देशबंधु चितरंजन दास की प्रतिमा भी उपेक्षित पड़ी थी। वहाँ लाईट की भी अच्छी व्ववस्था होनी चाहिए। अश्विनी कुमार ने कहा कि आज़ाद पार्क की स्थिति पहले की अपेक्षा बेहतर हुई है, फिर भी अभी भी वहाँ अन्य अपेक्षित सुधारों की ज़रूरत है। 
वेबिनार में रिया कुमारी, ज्योति कुमारी, वर्षा सिन्हा, आर प्रवीण, ऋषिकेश गुर्दा आदि भी उपस्थित थे। अहिप के गया जिले के अध्यक्ष राम बारीक, राष्ट्रीय बजरंग दल के विभाग अध्यक्ष शशिकांत मिश्र, मुकेश शर्मा, कार्याध्यक्ष, अहिप आदि ने ओजस्विनी द्वारा इस मुद्दे पर आयोजित परिचर्चा को गया ज़िले के लिए अति लाभप्रद बताया।