भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगा - प्रमोद सिंह

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगा  - प्रमोद सिंह                           अजय कुमार पाण्डेय    औरंगाबाद: ( बिहार ) हाल ही में रफीगंज विधानसभा क्षेत्र से *निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी इस बार चुनाव लड़कर प्रमोद कुमार सिंह ने 53,896 मत प्राप्त कर* अपनी तो दूसरे स्थान पर जगह बना ही ली! लेकिन यह भी हकीकत है कि इस बार संपन्न बिहार - विधानसभा चुनाव 2020 में रफीगंज विधानसभा क्षेत्र का जो मतगणना के बाद *निर्दलीय प्रत्याशी प्रमोद कुमार सिंह के पक्ष में* परिणाम आया? वास्तव में किसी भी पॉलिटिकल पार्टियों के लिए सोचने पर *अवश्य मजबूर* कर दिया? इसी मुद्दे पर जब निर्दलीय प्रत्याशी *प्रमोद कुमार सिंह*  से संवाददाता की मुलाकात *औरंगाबाद ब्लॉक स्थित आवास* पर हुई? तो भेंट वार्ता के दौरान कहा कि मैं इस बार रफीगंज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव तो अवश्य हार गया हूं? लेकिन रफीगंज - मदनपुर विधानसभा क्षेत्र की जनता ने जो मुझे *निर्दलीय प्रत्याशी होने के बावजूद भी स्नेह -  प्यार देते हुए* अपना कीमती मत देकर दूसरे स्थान पर पहुंचा दिया? जनता के इस प्यार को मैं कदापि नहीं भूल सकता? और जहां तक मुझे *रफीगंज विधानसभा क्षेत्र से* इस बार चुनाव हारने का सवाल है? तो मैं वास्तव में *राष्ट्रीय जनता दल के वोटों से* चुनाव नही हारा हूं? क्योंकि रफीगंज - मदनपुर विधानसभा क्षेत्र में यदि *वास्तविकता* को देखिऐ? तो राजद यानी (माय समीकरण ) का *कुल मत लगभग 50,000* के आस - पास ही है? और *राजद प्रत्याशी* को इस बार के विधानसभा चुनाव में कुल *63,325 मत* प्राप्त हुए है? जो मेरा प्राप्त मतों से मात्र *9,429 मतों* का ही अंतर है? लेकिन हकीकत है कि *हमारे प्रतिद्वंदी रहे एवं रफीगंज विधानसभा क्षेत्र के 10 साल से जदयू के विधायक रह चुके अशोक कुमार सिंह ने* अंदरूनी तौर पर अपने क्षेत्र में घुम - घुमकर  अपने मतदाताओं को अपनी हार का एहसास होने के बाद खुद कह दिया कि हम तो चुनाव हार ही रहे हैं? इसलिए आप लोग महागठबंधन में शामिल *राजद प्रत्याशी* को ही अपना वोट देकर चुनाव जिता दे? इसलिए ही मैं रफीगंज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हारा हूं? दूसरा मुझे चुनाव हारने का जो कारण रहा? वह यह है कि रफीगंज से ही निर्दलीय प्रत्याशी *आरिफ राजा* को भी जो कुल *4,872 मत* प्राप्त हुआ है? वह भी मत मेरा ही मतदाताओं का था? लेकिन मेरे मतदाताओं ने गलती से वह बोट दूसरे *निर्दलीय प्रत्याशी आरिफ राजा* को दे दिया? क्योंकि हम दोनों निर्दलीय प्रत्याशी का चुनाव चिन्ह लगभग एक ही जैसा था और दोनों का चेहरा भी मिलता-जुलता था? इसके अलावे हम दोनों का क्रम संख्या भी एक ही जगह पर आगे पीछे था?  इसलिए यदि आप इस समीकरण को देखेंगे? तो मेरा जो चुनाव हारने का अंतर रहा? वह मात्र 4,557 मतों का ही अंतर है? इसके अलावे 10 साल से रफीगंज विधानसभा क्षेत्र के लगातार *जदयू विधायक रह चुके प्रत्याशी* को भी इस बार के बिहार -  विधानसभा चुनाव में रफीगंज - मदनपुर विधानसभा क्षेत्र की जनता ने *मात्र 26,833 मत* ही दिया? एवं रफीगंज विधानसभा क्षेत्र से प्रथम बार ही *लोजपा प्रत्याशी बने मनोज कुमार सिंह* को भी रफीगंज - मदनपुर क्षेत्र की जनता ने *कुल 8491 मत* दिया? वहीं *बसपा प्रत्याशी* को भी रफीगंज विधानसभा क्षेत्र में इस बार *कुल 14,597 मत* प्राप्त हुए? आप‍ भी देख लीजिए कि यदि मुझे इस बार *रफीगंज विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से* टिकट मिला होता? तो निश्चित तौर पर मैं कम से कम *50,000 वोटों से चुनाव* अवश्य जितता? इसमें दो राय नहीं था? खैर अब इस बार संपन्न विधानसभा चुनाव में जो हुआ सो तो हुआ ही?  लेकिन यह भी बात सत्य है कि आज भी *तीसरा शक्ति* अवश्य है? इसमें भी दो राय नहीं है? क्योंकि आप भी नजर उठा कर देख लीजिए? कि मुझे जिस व्यक्ति ने राजद की तरफ से टिकट कटवाया? वह भी खुद चुनाव हार गया? और रफीगंज विधानसभा क्षेत्र के*10 साल से लगातार जदयू विधायक रह चुके *अशोक कुमार सिंह* कहते थे?  कि बाए - दाएं देखने वाले लोग देखते ही रह जाएंगे? और *विकास पुरुष माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार* के नाम पर रफीगंज विधानसभा क्षेत्र की जनता मुझे अवश्य वोट देगी? तो उनका भी क्या हश्र हुआ? लेकिन यही रफीगंज - मदनपुर विधानसभा क्षेत्र की जनता ने मुझे निर्दलीय प्रत्याशी होने के बावजूद भी सनेह -  प्यार देकर दूसरे स्थान पर पहुंचा दिया? इसलिए मैं आज भी मानता हूं कि *तीसरा शक्ति* भी कहीं अवश्य है? इसलिए अब मैंने भी प्रण कर लिया है?  कि औरंगाबाद जिले वासियों के लिए सदैव सेवा हेतु 24 घंटा मेरा दरवाजा खुला रहेगा! यदि किसी भी जिले वासियों को *भ्रष्टाचार की वजह से* विभागीय परेशानी होती है? तो *सेवक* सेवा करने के लिए सदैव तत्पर है? और मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि *भ्रष्टाचार के खिलाफ* मेरा जंग हमेशा जारी है! मैं रफीगंज विधानसभा क्षेत्र से इस बार चुनाव हारने के बावजूद भी दूसरे दिन से ही अपने क्षेत्र की जनता से उसी प्रकार मिल रहा हूं! जिस प्रकार चुनाव से पूर्व हमेशा मिलता रहा हूं! श्री सिंह का कहना है कि मुख्यालय स्थित जसोईया मोड के समीप *सीमेंट फैक्ट्री* की वजह से *शहरवासी हमेशा त्राहिमाम* कर रहे हैं?  हमेशा सड़क जाम हो जाती है! मुख्यालय का *जल - स्तर*  दिन - प्रतिदिन *सीमेंट फैक्ट्री के वजह से ही* काफी नीचे गिरता जा रहा है?  क्योंकि प्रतिदिन आम जनता से मिल रही शिकायत के मुताबिक नियमों को ताक पर रखते हुए *सीमेंट फैक्ट्री में अनगिनत* समरसेबल बोरिंग करा दी गई है! दिन - प्रतिदिन सीमेंट फैक्ट्री के वजह से ही *स्थानीय लोगों को प्रदूषण* का खतरा बढ़ता जा रहा है? श्री सिंह का कहना है कि आप यदि वास्तव में देखेंगे?  तो इन्हीं सब प्रदूषण की वजह से ही इस बार के *महामारी कोरोना* में भी जो आम लोगों को असर हुआ है? वह अधिकांश *फैक्ट्री या प्लांट के इर्द -  गिर्द क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को* ही काफी असर हुआ है? जहां *प्रदूषण* लगातार बढ़ रहा है? उसी इलाके में *कोरोना* के मरीजों की संख्या भी अधिकांश बढी है? औरंगाबाद में खासकर जसोईया मोड से लेकर कथरूआ, बाईपास, सत्येंद्रनगर क्षेत्रो में *कोरोना मरीजों की संख्या* अधिकांश बढी?  इसके बावजूद भी औरंगाबाद के न तो कोई जनप्रतिनिधि सवाल उठाते हैं? और न ही किसी *वरीय पदाधिकारियों को ही* जनता के  इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान है?  जो निष्पक्ष जांच का विषय है?  इसके अलावे सरकारी *समझौता पत्र के अनुकूल फैक्ट्री संचालकों द्वारा* स्थानीय लोगों को 50% काम भी नहीं दिया जा रहा है? सरकारी नियमानुकूल कोई भी फैक्ट्री शहर से कम से कम 03 किलो मीटर दूरी पर हटाकर लगाने का प्रावधान है? लेकिन औरंगाबाद में तो *शहरी क्षेत्र के पास ही सीमेंट फैक्ट्री* लगाया गया है? जो नियमों का घोर उल्लंघन है? औरंगाबाद में फैक्ट्री *मनमानी तरीके से* चलाई जा रही है?  इसके अलावे *शिवगंज स्थित बाबा राइस मिल* का भी यही हाल है?  जिसकी वजह से परेशानी *स्थानीय जनता* को होती है? और स्थानीय लोगों की धान खरीदगी के बजाय *राइस मिल मालिक* द्वारा बाहरी लोगों से *धान* खरीदा जा रहा है?  जबकि *150 सौ करोड़ रूपया टर्न ओवर का प्लांट* शिवगंज में बैठाया गया है? इसके अलावे *समझौता पत्र के अनुसार* स्थानीय लोगों को प्लांट में काम भी नहीं दिया जा रहा है? और सरकारी नियमानुकूल किसी भी कंपनी या प्लांट लगाने वाले लोगों को वार्षिक *टर्न ओवर का 02 प्रतिशत सी0एस0आर0 फंड के माध्यम से* स्थानीय विकास में खर्च कर कार्य करना होता है? जो नहीं किया जा रहा है? यदि *शिवगंज स्थित बाबा राइस मिल प्लांट* द्वारा वार्षिक टर्नओवर का *2% सी0एस0आर0 फंड का पैसा* खर्च किया गया है?  तो आम जनता को भी पता होना चाहिए?  कि *किन-किन गांवों* में किन किन मदों में, कहां -  कहां खर्च किया गया है? लेकिन हकीकत है कि ऐसा कहीं भी *वार्षिक टर्नओवर का 2% सी0एस0आर0 फंड का पैसा* खर्च नहीं किया गया है?  इसलिए इन सब गंभीर मुद्दे को लेते हुए विभागीय जांच अवश्य होनी ही चाहिए? ज्ञात हो कि औरंगाबाद के पूर्व जिलाधिकारी रह चुके एवं वर्तमान कटिहार जिलाधिकारी *कंवल तनुज* के वक्त भी औरंगाबाद में *सीमेंट फैक्ट्री* को बंद कराया गया था? इसके बावजूद भी पुनः *सीमेंट फैक्ट्री* को चालू करा दिया गया? जो औरंगाबाद  जिले वासियों के दिलो दिमाग से भी नहीं उतर पा रहा है? कि पुनः फैक्ट्री को कैसे चालू करा दिया गया?  इसी मुद्दे पर औरंगाबाद की *प्रियव्रत महिला विकास संगठन अध्यक्षा समाजसेवी महिला शशि बाला सिंह* कहती है कि मुझे तो समझ में ही नहीं आता है? कि औरंगाबाद के कोई भी जनप्रतिनिधि या पदाधिकारी जसोईया मोड स्थित दाउदनगर मुख्य पथ पर लगाया गया *सीमेंट फैक्ट्री के खिलाफ* मामले को गंभीरता से क्यों नहीं ले रहे हैं?