शब्दाक्षर’’ ने मनाया राखी का त्योहार, बही सुमधुर कविताओं की बयार* - *"सेवा करना सदा देश की बहना की अभिलाषा है।* *परहित हेतु कर्म करना ही जीवन की परिभाषा है।।"

*‘’शब्दाक्षर’’ ने मनाया राखी का त्योहार, बही सुमधुर कविताओं की बयार*
रिर्पोटः डिके पंडित
गयाबिहार 
- *"सेवा करना सदा देश की बहना की अभिलाषा है।*
*परहित हेतु कर्म करना ही जीवन की परिभाषा है।।"*

साहित्यिक संस्था 'शब्दाक्षर’ ने भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ  मनाया ।  इस सुअवसर पर ‘’आया राखी का त्योहार, हर्षित शब्दाक्षर परिवार" शीर्षक के तहत अत्यंत शानदार राष्ट्रीय काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें सभी रचनाकारों ने रक्षाबंधन पर केंद्रित रचनाओं का पाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कवि आ.ओमपाल सिंह निडर (पूर्व सांसद ) ने की । उन्होंने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में संस्था की दिनानुदिन हो रही साहित्यिक प्रगति की भूरि-भूरि प्रशंसा की। काव्यगोष्ठी में प्रधान अतिथि के रूप में 'शब्दाक्षर' के संस्थापक-सह-राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह शामिल हुए, जिन्होंने संस्था की सतत प्रगति का श्रेय अपने कर्मठ पदाधिकारियों को दिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में  'शब्दाक्षर', हरियाणा इकाई के प्रदेश अध्यक्ष अक्षय राज शर्मा तथा बतौर विशिष्ट अतिथि 'शब्दाक्षर' बिहार इकाई की प्रदेश साहित्य मंत्री डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी की गौरवमय उपस्थिति रही।

कार्यक्रम का शुभारंभ 'शब्दाक्षर' गोवा इकाई की प्रदेश अध्यक्ष वंदना चौधरी द्वारा प्रस्तुत सुमधुर सरस्वती वंदना तथा 'शब्दाक्षर' के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह 'सत्य' के स्वागत-वक्तव्य से हुआ। बिहार के गया से कवयित्री डॉ रश्मि प्रियदर्शनी ने 'रक्षा करना सब बहनों की, कहते हैं राखी के धागे। भैया तुमको मिले सफलता, जीवन से हर बाधा भागे।  सेवा करना सदा देश की बहना की अभिलाषा है। परहित हेतु कर्म करना ही जीवन की परिभाषा है, कविता का सुमधुर पाठ किया।  उत्तराखंड के प्रसिद्ध कवि महावीर सिंह ने 'हर भाई के कर में राखी, मस्तक रोली चंदन है। फिर भी बहनें सहमी-सहमी अंतर्मन में क्रंदन है। जिस दिन मेरे भारत की हर बहन सुरक्षित हो जाए। उस दिन मैं समझूंगा, मेरे देश में रक्षाबंधन है' पंक्तियों का पाठ कर श्रोताओं से खूब वाहवाहियाँ अर्जित कीं। 

इस काव्यगोष्ठी में कर्नाटक से कवि ब्रजेन्द्र मिश्रा तथा अनुराधा प्रियदर्शनी, कोलकाता से 'शब्दाक्षर' के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डॉ दयाशंकर मिश्र, दुर्गा व्यास, के. के. दूबे, रामप्रकाश सिंह ‘सावन’, अंजू छारिया तथा सुशीला चनानी, गोवा से वंदना चौधरी, असम से सत्येन्द्र सिंह ‘सत्य', मध्यप्रदेश से कवि राजीव खरे, लखन अनजान डेहेरिया तथा अनुराधा सिंह, बिहार से निशांत सिंह 'गुलशन' तथा किरण सिंह, राजस्थान से रवींद्र चौधरी तथा राम पंचाल भारतीय, उत्तर प्रदेश से रश्मि पांडे, शशिकांत मिश्रा तथा अंकिता मिश्रा , दिल्ली से अनुराधा सिंह आदि ने 'रक्षाबंधन' तथा भाई-बहन के प्रेम से संबंधित भावपूर्ण कविताएँ पढ़कर मंचासीन अतिथियों तथा श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। विशिष्ट अतिथि डॉ० प्रियदर्शनी ने अपने वक्तव्य के दौरान सभी के काव्य पाठ की प्रशंसा की। सभी गणमान्य अतिथियों एवं पदाधिकारियों द्वारा देशवासियों को राखी के त्योहार की शुभकामना प्रेषित की गयी। धन्यवाद ज्ञापन वंदना चौधरी ने तथा कार्यक्रम का संचालन 'शब्दाक्षर' दिल्ली इकाई की प्रदेश अध्यक्ष संतोष संप्रीति ने किया। इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण ‘शब्दाक्षर’ केंद्रीय पेज पर भी किया गया ।