श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष राष्ट्रीय काव्यगोष्ठी का आयोजन किया, जिसकी मेजबानी 'शब्दाक्षर' की मध्यप्रदेश इकाई ने की

*श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष राष्ट्रीय काव्यगोष्ठी का आयोजन किया, जिसकी मेजबानी 'शब्दाक्षर' की मध्यप्रदेश इकाई ने की
रिपोर्टः
दिनेश कुमार पंडित
अन्तर्राष्ट्रीय पत्रकार 
(वर्ल्ड बुद्धिस्ट मिशन: जापान मीडिया हेड)
- "मैं आऊँगा, मैं आऊँगा, हे धरा-पुत्र तुम धीर धरो, कलियुग-संताप मिटाऊँगा, बस तनिक प्रतीक्षा और करो".......*

*‘’शब्दाक्षर’’ की जन्माष्टमी विशेष राष्ट्रीय काव्यगोष्ठी"*

साहित्यिक संस्था 'शब्दाक्षर’ ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष राष्ट्रीय काव्यगोष्ठी का आयोजन किया, जिसकी मेजबानी 'शब्दाक्षर' की मध्यप्रदेश इकाई ने की।  काव्यगोष्ठी में रचनाकारों ने भगवान श्री कृष्ण को समर्पित रचनाएँ पढ़ीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कवयित्री अर्चना जैन ने की। 'शब्दाक्षर' के संस्थापक-सह-राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह प्रधान अतिथि, कवि रामनरेश विद्यार्थी मुख्य अतिथि तथा रामकृष्ण द्विवेदी विशिष्ट अतिथि रहे।  कार्यक्रम का शुभारंभ कवि राम नरेश मिश्रा 'विद्यार्थी' द्वारा प्रस्तुत सुमधुर सरस्वती वंदना तथा 'शब्दाक्षर' मध्य प्रदेश के अध्यक्ष राजीव खरे के स्वागत-वक्तव्य से हुआ। 

 'शब्दाक्षर' बिहार इकाई की प्रदेश साहित्य मंत्री डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने श्रीमद्भागवत गीता से उद्धृत लोकप्रिय श्लोक "यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्‌' से अपने काव्यपाठ का शुभारंभ करते हुए भगवान विष्णु के सभी अवतारों की सार्थकता पर प्रकाश डालती अपनी कविता पढ़ी। उनकी पंक्तियाँ "मैं आऊँगा, मैं आऊँगा, हे धरा-पुत्र धीर धरो, कलियुग-संताप मिटाऊँगा, बस तनिक प्रतीक्षा और करो। मैं राम रूप में आया था, मैं कृष्ण रूप में आया था। मैंने ही परशुराम बनकर दुष्टों को सबक सिखाया था। मैं न्याय तथा मानवता की रक्षा हित शंख बजाऊंगा, हर सीता को, हर कृष्णा को, खोया सम्मान दिलाऊँगा, फहराऊँगा नीले नभ में मैं धर्म-पताका सुनो, सुनो! मनुपुत्रों, समय अभी भी है, तुम अच्छाई की राह चुनो!....", सभी निराश मनुष्यों में नव आशा का संचार करने वाली थीं। 

शब्दाक्षर के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविप्रताप सिंह ने भगवान श्री कृष्ण का स्मरण करते हुए कहा कि 'अंबर छूना है तो उड़ना ही होगा। हर विपरीत हवा से लड़ना ही होगा..." कर्नाटक से जुड़े कवि ब्रजेन्द्र मिश्र ने 'श्री कृष्ण कृपा इतनी करिए, मन में न कभी भी दंभ रहे, मनमोहन यह विनती सुनिए!......" उत्तराखंड के प्रसिद्ध कवि महावीर सिंह 'वीर' ने  श्री कृष्ण के समान बनने का संदेश देते हुए 'जाने कितने दुश्मन पाले बैठे हैं, हम अपना किरदार संभाले बैठे हैं, मीठी-मीठी बातें करने वालों के, मन के भीतर विषधर काले बैठे हैं....' पंक्तियों का सस्वर पाठ कर खूब वाहवाहियाँ अर्जित कीं। काव्यगोष्ठी में कोलकाता से कृष्ण कुमार दूबे, अंजू छारिया, गोवा से वंदना चौधरी तथा निशि यादव, असम से सत्येन्द्र सिंह ‘सत्य', मध्यप्रदेश से लखन अनजान डेहेरिया, बिहार से निशांत सिंह 'गुलशन', उत्तर प्रदेश से विभा सिंह तथा रश्मि पांडे, दिल्ली से चन्द्रमणि 'मणिका' तथा नेहा जग्गी, मध्य प्रदेश से नवीन जैन अकेला, अजय सिंह तथा रूपाली सक्सेना ने जन्माष्टमी की बधाइयाँ देते हुए भावपूर्ण कविताएँ पढ़ते हुए मंचासीन अतिथियों तथा श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।  कार्यक्रम का संचालन 'शब्दाक्षर' की दिल्ली इकाई की प्रदेश अध्यक्ष संतोष संप्रीति तथा धन्यवाद ज्ञापन कवि 'अकेला' ने किया। कार्यक्रम का लाइव प्रसारण ‘शब्दाक्षर’ केंद्रीय पेज पर भी किया गया ।