समन्वय आश्रम वगहा के बच्चे घर गृहस्थी चलाने को ले रहे ताली

समन्वय आश्रम वगहा के बच्चे घर गृहस्थी चलाने को ले रहे तालीम

रिपोर्ट :विनोद विरोधी 

गया। जिले के मोहनपुर प्रखंड मुख्यालय से लगभग 5 किलोमीटर दूरी पर स्थित गोपालकेड़ा पंचायत के बगहा आश्रम जो कि लगभग 75 एकड़ में फैले अपने आप में एक इतिहास है स्वतंत्रता सेनानी बिनोवा भावे के शिष्य द्वारिका सुंदरानी के द्वारा स्थापित यह आश्रम आज के समय मे अनेक बच्चे अन्तेवाशी के रूप मे रहकर घर गृहस्थी चलाने की तालीम पा रहे है.
बगहा में दलित लड़कों  एवं लड़कियों के लिए आश्रम खोले और उनकी शिक्षा के साथ उनके रहने-खाने और पोशाक आदि की भी व्यवस्था की। आश्रम में रहने वाले बच्चों को उन्होंने किताबी शिक्षा दिए जाने के साथ घर-गृ़हस्थी चलाने की शिक्षा भी दी। दसियों हजार दलित नागरिकों को उन्होंने जीवन संघर्षों से जूझने के लिए जानवरों का इलाज करने, खेती-बाड़ी करने, गाड़ी चलाने और मोटर तथा जेनरेटर की मरम्मत करने आदि की व्यावहारिक शिक्षा दी।

जहां से बच्चे शिक्षा ग्रहण कर पूरे देश और दुनिया में अपना कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं और अपने आश्रम का नाम रोशन कर रहे है! 
मोहनपुर का बगहा आश्रम गरीब दलित  असहायों बच्चो एव्ं बचियों के लिए एक मात्र विकल्प साबित हो रहा है जहाँ शिक्षा  , स्वास्थ  , गौपालन के साथ साथ महिलाओ के लिए रोजगार का भी सृजन करता है  , आश्रम के आस पास के गाव की महिलाएं कपड़ा बनाने के लिए प्रशिक्षण ले रही है और स्वरोजगार का बढ़ावा दे रही है.! 

आश्रम में महिलाओं को विशेष तौर पर हैंडलूम से कपड़ा बनाने की प्रशिक्षण दिया जा रहा है साथ ही आस पास की महिलाएँ जो कुछ समय पहले से काम कर रही है उनसब को प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है वहां मौजूद कुछ महिलाओं से बात किया तो बताई की हमलोग अभी प्रशिक्षण में पूरी तरह सीखा दिया जाएगा तो हमलोग स्वरोजगार भी कर सकते है चिंता देवी धागा  से लेकर कपड़ा बनने के बारे में बताते हुए बोलती है कि यहां कई प्रकार उपकरण मौजूद है जिससे कॉटन कपड़ा में शर्ट और गमछा इत्यादि का निर्माण किया जाता है और हमलोग लगभग 7 महीने से काम कर रहे है । 

आश्रम में लगभग 30 वर्षो से अपना सेवा दे रहे राम प्रवेश पाठक जो की गया जिला के आमस के  रहने वाले हैं उन्होंने आश्रम मे शिक्षा ले रहे विधार्थियों के बारे मे बताया की यहां प्रतिदिन लगभग 200 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते है जिसमे कुछ यहाँ दूर दूर से रहकर पढाई करने वाले होते है और बाकी आस पास के गाव के बच्चे होते है यहाँ कम सें कम 7 वीं तक की CBSE बोर्ड की पढाई होती है साथ ही  यहाँ बच्चो को खेती , गौशाला एव्ं अन्य कई प्रकार के कौशल विकास की प्रसिक्षण दिया जाता है जिससे कि पढ़ लिखकर बेरोजगार न रहे यहाँ आवासीय रूप मे रह रहे बच्चो के लिए लगभग 30 गाये है जिसकी दूध बच्चो को दिया जाता है 75 एकड़ मे फैले आश्रम मे से 35 एकड़ ने खेती कि जाती है जिससे बहुत कम ही खाने कि सामग्री बाजार से उपलब्ध करना पड़ता है यहाँ छात्र एव्ं छात्राओं के लिए अलग अलग रहने  एव्ं  सोने कि ब्यवस्था से परिपूर्ण हैं यह आश्रम क्योंकि इस आश्रम मे वही बच्चा आता  जिसके माता पिता अपने बच्चो को पढ़ाने में असमर्थ है या कोई बच्चा अनाथ हो गया हो ! पढाई के साथ समाज और संस्कृति से प्रकाशित किया जाता है ताकि अपना पहचान बनाये रखे! आश्रम मे मौजूद एक छात्रा से हमने बात किया तो उन्होंने बताई की मैं यहाँ लगभग 5 वर्षो से रहकर अध्ययन कर रहा हूँ हमे यहाँ रहकर  पढाई करने मे बहुत अनुभव का आभाष होता यहाँ पढ़ाने वाले सभी शिक्षक बाहर से आते है और उनमे शिक्षण की गुन मे कोई कमी नही होती साथ हमलोगो को समय के अनुसार खेलने को भी मिलता ह खेल सामग्री भी उपलब्ध है! 


बाराचट्टी विधानसभा से वर्तमान विधायक ज्योति मांझी जी की शुरुआती पढ़ाई इसी आश्रम में हुआ था इस प्रकार के कई समजसेवियो का उदाहरण प्रायोजित है ।