सर्वोदय उच्च विद्यालय +2 मखदुमपुर टेकारी गया में सत्य अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी एवं सादगी के प्रतीक भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मनाया गया धूमधाम से जयंती

सर्वोदय उच्च विद्यालय +2 मखदुमपुर टेकारी गया में सत्य अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी एवं सादगी के प्रतीक भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मनाया गया धूमधाम से जयंती 
विश्वनाथ आनंद
टेकारी( गया मगध बिहार):-  +2 सर्वोदय उच्च विद्यालय मखदुमपुर, टिकारी (गया) में सत्य, अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी एवं सादगी के प्रतीक पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की धूमधाम से  जयंती मनाई गई l इस अवसर पर विद्यालय में दोनों महापुरुषों के तैलीय चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित किया गया तथा  विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक मोहम्मद अबरार आलम द्वारा विद्यालय में क्यूज, निबंध एवं भाषण प्रतियोगिता का आयोजन भी करवाया गया जिसमें प्रथम स्थान निरंजन कुमार, द्वितीय स्थान गोविंद शरण एवं अनिकेत कुमार तृतीय स्थान रोहित रंजन को प्राप्त हुआ। इन बच्चों को विद्यालय के तरफ से पुरस्कृत किया गया। वही +2 की छात्रा अनामिका कुमारी को जिला स्तरीय आशुभाषण प्रतियोगिता में तृतीय स्थान प्राप्त करने पर  तथा संगीत में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए पुरस्कृत किया गया। ऐसे तो विद्यालय के प्राचार्य मोहम्मद अबरार आलम ने दोनों नेताओं के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महात्मा गांधी सत्य अहिंसा के पुजारी के साथ ही देश के लिए एक मिसाल हैं जिन्होंने जीवन प्रयत्न संघर्ष किया और आजाद भारत में कोई पद प्राप्त नहीं किया lवही "जय जवान जय किसान" का नारा देने वाले सादगी के प्रतीक लाल बहादुर शास्त्री अपने त्याग, तपस्या तथा कठिन परिस्थिति में भारत का नेतृत्व किया। उन्होंने यह भी कहा कि इन दोनों नेताओं के मार्ग पर चलकर ही देश को आगे बढ़ाया जा सकता है।
जयंती के अवसर पर अरविंद शर्मा, प्रभात कुमार सिंह, श्याम किशोर प्रसाद, अभिषेक कुमार, विपिन कुमार तथा +2 शिक्षक डॉक्टर पुरुषोत्तम कुमार ने अपने अपने विचार व्यक्त किए।डॉक्टर पुरुषोत्तम कुमार ने समारोह का समापन करते हुए दोनों महापुरुषों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि महात्मा गांधी जब बैरिस्टर बनकर भारत लौटे और वकालत करने के लिए 1893 ईसवी में 1 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर दक्षिण अफ्रीका गए तो उन्हें रंगभेद का सामना करना पड़ा। 7 जून 1893 की घटना का जिक्र करते हुए डॉ० पुरुषोत्तम कुमार ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के पीटरमैरिट्जबर्ग में गोरो द्वारा गांधीजी को ट्रेन से धक्का देकर फेंकना यह उनके जीवन में एक टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। इस घटना से टूटने के बजाय गांधीजी और मजबूत होकर उभरे । उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रंग के नाम पर होने वाले भेदभाव और भारतीय समुदाय के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने का दृढ़ निश्चय किया।
डॉ० कुमार ने गांधी जी द्वारा दक्षिण अफ्रीका में स्थापित फिनिक्स फॉर्म और टॉलस्टॉय फार्म के बारे में भी बताया। उन्होंने यह भी बताया कि गांधी जी ने किस प्रकार शांतिपूर्ण, संयम और अहिंसक सत्याग्रह कर अफ्रीका में रह रहे भारतीयों को न्याय दिलाए।
अंत में डॉ० पुरुषोत्तम कुमार ने लाल बहादुर शास्त्री के बारे में बताते हुए हैं कहा कि शास्त्री जी की साफ-सुथरी छवि के कारण ही 1964 में देश का प्रधानमंत्री बनाया गया। शास्त्री जी का शासन काल बेहद कठिन रहा जहां एक तरफ पूंजीपति देश पर हावी होना चाहते थे वहीं दूसरी तरफ दुश्मन देश आक्रमण करने की फिराक में थे । डॉ० कुमार ने 1965 में पाकिस्तान द्वारा किए गए आक्रमण तथा ताशकंद समझौता के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि शास्त्रीजी को उनकी सादगी देशभक्ति और ईमानदारी के लिए आज भी पूरा देश श्रद्धापूर्वक याद करता है।