*'शब्दाक्षर' द्वारा अनवरत रूप से किए जा रहे हैं महत्वपूर्ण साहित्यिक आयोजन*

*'शब्दाक्षर' द्वारा अनवरत रूप से किए जा रहे हैं महत्वपूर्ण साहित्यिक आयोजन*
रिपोर्टः डीके पंडित
गयाबिहार
*-'हे प्रभु, हे प्रभु, हर हृदय में बस रहा है तू।*
*तूने ही सूर्य को रचा, तूने ही रचा समस्त भू।'*


प्रसिद्ध हिन्दी सेवी साहित्यिक संस्था 'शब्दाक्षर' द्वारा हिन्दी पद्य तथा गद्य की विधाओं को समृद्ध और सक्रिय करने के उद्देश्य से अनवरत रूप से अॉनलाइन साहित्यिक आयोजन किये जा रहे हैं। 'शब्दाक्षर' की नवगठित कर्नाटक इकाई द्वारा समिति की प्रदेश अध्यक्ष-सह-प्रसिद्ध लोकगीतकार सुनीता सैनी “गुड्डी “ के नेतृत्व में विगत 26 सितंबर को प्रथम मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता 'शब्दाक्षर' कर्नाटक प्रदेश समिति के उपाध्यक्ष विजेन्द्र सैनी ने की । इस काव्यगोष्ठी में बैंगलोर शहर के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों के जाने माने लगभग 21 से अधिक  कवियों तथा कवयित्रियों ने भाग लिया। तत्पश्चात 1अक्टूबर को शब्दाक्षर के केन्द्रीय पेज से 'शब्दाक्षर' की राष्ट्रीय साहित्य मंत्री-सह-वार्ताकार नीता अनामिका के साथ 'हिन्दी बचाओ मंच’ के संयोजक, हिन्दी सहित अन्य भारतीय भाषाओं के प्रसिद्ध आलोचक, लेखक, प्रतिष्ठित भाषाविद् तथा ‘हिन्दी आलोचना की पारिभाषिक शब्दावली’ जैसे वृहद् ग्रंथ के रचयिता कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के भूतपूर्व प्रोफेसर डॉ अमरनाथ शर्मा का साहित्यिक साक्षात्कार आयोजित किया गया। इस वार्ता में डॉ शर्मा ने हिन्दी भाषा परिवार को टूटने से बचाने, उसकी बोलियों को हिन्दी के साथ संगठित रखने तथा हिंदी की पहचान को सशक्त बनाने के उद्देश्य से निर्मित ‘हिन्दी बचाओ मंच’ के माध्यम से किये गये कार्यानुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि कोई भी देश की उन्नति में उस देश की अपनी भाषा का महत्वपूर्ण योगदान होता है और भारत के संदर्भ में हिन्दी भाषा में ही यह योग्यता है। गाँधी जयंती के सुअवसर पर ओज के राष्ट्रीय हस्ताक्षर 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन भोपाल में तथा 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन मॉरीसस में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले, यूनाइटेड किंगडम व रिपब्लिक आयरलैंड में 15 स्थानों पर काव्य-पाठ करने वाले 'शब्दाक्षर' के अभिभावकों में से एक कवि चौधरी मदन मोहन 'समर' ने शब्दाक्षर केन्द्रीय पेज से एकल काव्य पाठ करके श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। ज्ञात हो कि कवि 'समर' दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर आयोजित लाल किला कवि सम्मेलन में 9 वर्षों तक -पाठ करने के साथ-साथ देश-विदेश के अनगिनत काव्य-समारोहों में शिरक़त कर चुके हैं।

कल दिनांक 3 अक्टूबर को 'शब्दाक्षर' की पश्चिम बंगाल प्रदेश इकाई द्वारा मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता शब्दाक्षर के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दया शंकर मिश्र ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना तथा शब्दाक्षर पश्चिम बंगाल समिति के प्रदेश सचिव कृष्ण कांत दूबे के स्वागत वकतव्य से हुआ। शब्दाक्षर के संस्थापक-सह- राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह सहित आमंत्रित प्रधान अतिथि शब्दाक्षर के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह सत्य, मुख्य अतिथि दिल्ली इकाई की प्रदेश अध्यक्ष संतोष संप्रीति तथा विशिष्ट अतिथि शब्दाक्षर उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष श्यामल मजूमदार ने मंच तथा श्रोताओं को शुभकामनाएंँ देते हुए मनमोहक काव्य पाठ किया।

इस काव्यगोष्ठी में शब्दाक्षर उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष कवि महावीर सिंह वीर, गोवा प्रदेश अध्यक्ष वंदना चौधरी, शब्दाक्षर की राष्ट्रीय प्रवक्ता-सह-शब्दाक्षर बिहार प्रदेश साहित्य मंत्री प्रोफेसर डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी, राष्ट्रीय साहित्य मंत्री नीता अनामिका, कोलकाता आकाशवाणी की एंकर सविता पोद्दार सहित सुनीता सैनी गुड्डी, विजेन्द्र सैनी, ज्योति नारायण, सुशीला चनानी, नंदू बिहारी,  रामपंचाल नरेश तथा कवि बालकृष्ण आदि ने भी अपनी भावपूर्ण कविताएँ पढ़ीं। *रवि प्रताप सिंह की गजल "शेर हमने कहाँ सुनाये हैं, दर्द के लफ़्ज  गुनगुनाये हैं। एक पत्थर से दोस्ती  करके, दिल पे अपने ही चोट खाये हैं" पर काफी वाहवाहियाँ लगीं। संतोष संप्रीति की कविता 'इतना सरल नहीं होता है अंतर्मन को पढ़ पाना' तथा डॉ रश्मि प्रियदर्शनी के द्वारा प्रस्तुत भजन 'हे प्रभु, हे प्रभु, हर हृदय में बस रहा है तू, तूने ही सूर्य को रचा, तूने ही रचा समस्त भू' की सब ने तारीफ की। कवि महावीर सिंह वीर की 'अपनों की इच्छाएँ पूरी करने को, हम अपनी इच्छाएँ टाले बैठे हैं' पंक्तियों पर सभी ने खूब तालियाँ बजाईं।* कार्यक्रम का कुशल संचालन पश्चिम बंगाल की प्रदेश साहित्य मंत्री अंजू छारिया ने तथा धन्यवाद ज्ञापन शब्दाक्षर के राष्ट्रीय सलाहकार तारक दत्त सिंह ने किया।