गरीब बच्चों का पोषाहार को भी शिक्षक लूट रहे है और बेशर्मों की टोली, इनके "लूटेरे वर्ग के लिए

*गरीब बच्चों का पोषाहार को भी शिक्षक लूट रहे है और बेशर्मों की टोली, इनके "लूटेरे वर्ग के लिए" संरक्षक साबित हो रहे है, लूट प्रथा का विरोध करने पर इनके दरिंदगी का शिकार कमजोर वर्ग के बच्चो को होना पड़ता है, और सुधार की जगह विद्यालय, और भी लूट व राजनीति का अखाड़ा बन जाता है, आखिर वजह क्या हैं और जबाबदेह कौन है ? बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार या सरकारी पदाधिकारी,  क्षेत्रीय विधायक या सांसद ?*
*अजय कुमार पाण्डेय  /अनिल कुमार मिश्रा की रिपोर्ट*
औरंगाबाद: (बिहार) : *सरकारी विद्यालयों * के माध्यम से बच्चों को मिलने वाली सहायता व पोषाहार, कुटूम्बा  - विधानसभा क्षेत्र मे गुरू पद को भी कलंकित करके रख दिया है और बच्चों को शिक्षा देने की जगह सरकारी विद्यालयों के अधिकांश प्रधानाध्यापक एवं क्षेत्रीय शिक्षक गाँव के ही दबगो के साथ "सांठ - गाँठ कर " मिलकर बच्चो के पोषाहार को भी खा जाने से बाज नहीं आ रहे* है। *ऐसे भी बिहार राज्य अंतर्गत औरंगाबाद जिला का कुटूम्बा प्रखंड़ / विधानसभा क्षेत्र सरकार प्रायोजित योजनाओं एवं सरकारी संपदा की लूट के लिए बहुचर्चित है तथा यहाँ कानून व शासन  - ब्यवस्था नाम का कहीं पर भी कोई चीज नहीं बचा हुआ* है!  *हलात बद से बदत्तर है, और प्रशासनिक  - अधिकारी व नेता जी भी अपने दायित्व के प्रति संवेदन शून्य दिख रहे* है। 
*फलस्वरूप  जिसकी लाठी,  उसकी *भैस  - वाली कहावत ही कुटूम्बा विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत कुटूम्बा प्रखंड़ कें अधिकांश सरकारी  - विद्यालयों तथा कार्यालयों में चरितार्थ* है! *यदि यह कहा जाए कि अंधे के आगे रोना और अपना दिदा* खोना! *कहावत सभी जगहों पर चरितार्थ हैं और यहाँ के जनता रोटी के टुकड़े के प्रति दौड़ की प्रतियोगिता में सबसे आगे है, तो हास्यपद नहीं* होगी। *कुटूम्बा विधानसभा क्षेत्र  अंतर्गत राजकीय मध्य विद्यालय, परता के प्रधानाध्यापक, मो० क्यूम अंसारी पर दबी जूबान से कई गंभीर आरोप है, तथा इनके द्वारा बच्चों को पोषाहार में कटौती भी जग जाहीर* है।  *विद्यालयों से साढ़े छ: किलो मिलने वाला चावल तथाकथित आरोपों के अनुसार  04 किलो ही होता है, और शिक्षा ब्यवस्था भी चौपट* हैं। *प्रत्यक्षदर्शियों की बात मान ली जाए, तो उक्त विद्यालय में शिक्षकों को आने  - जाने का भी कोई समय सीमा नहीं* है! *जब मर्जी होगा, विद्यालय आएगें और जब मर्जी होगा चले* जाएंगे!  *जिसका मूल वजह प्रधानाध्यापक के पद पर गाँव का ही होना बताया जाता* है। 
*आरोप हैं कि प्रधानाध्यापक स्थानीय* हैं! *जिसके कारण विद्यालय को भी स्थानीय राजनीति का अखाड़ा बना दिया  हैं, तथा स्थानीय होने की वजह से विद्यालय में पढने वाले छात्र  - छात्राओं के साथ भी भेदभाव करते* है।  *राजकीय कृत मध्य विद्यालय परता में कु  - ब्यवस्था एवं प्रधानाध्यापक की मनमानी का चर्चा जोरों पर* है! *लेकिन इनके कु  - कृत्यों को न तो  विभागीय अधिकारी देख व सुन पा रहे है,और न हीं विद्यालय का हकियत से वाकिफ होकर जनप्रतिनिधि इनके विरुद्ध आवश्यक कारवाई कर पा रहे* हैं। *जिसका मूल वजह स्थानीय होना और वोट की गंदी राजनीति* हैं। *सरकारी विद्यालयों में चौपठ शैक्षणिक  -  ब्यवस्था, हाजरी बनाकर घर बैठे वेतन उठाने की प्रथा तथा गरीब बच्चों के पोषाहार की लूट व चोरी पर समाजसेवी, आलोक कुमार ने कड़ी प्रतिक्रिया ब्यक्त करते हूए कहा है कि सरकारी विद्यालयों में लूट प्रथा को जन्म देने वाली ब्यवस्था, गुरू जी को चोरी सिखाने की प्रथा तथा हाजरी बनाकर घर बैठे वेतन उठाने की प्रथा को उखाड़ फेकना* होगा! *तभी गरीब तबके के बच्चों का भविष्य के साथ होने वाले खिलवाड़ बंद होगें, तथा मनमानी रूकेगा, और इसी मे सबों की एवं गरीब बच्चों के भी भलाई* है। *आलोक कुमार ने कड़ी प्रतिक्रिया ब्यक्त करते हुए कहा कि सरकारी विद्यालयों से बच्चों को मिलने वाले सभी तरह की सहायता, यहाँ तक की पोषाहार  - योजना में भी भयंकर लूट व धांधली* हैं! *जिसका ज्वलंत उदाहरण  राजकीय कृत मध्य विद्यालय, परता*  हैं। *उक्त विद्यालयों में स्थानीय शिक्षकों की मनमानी का विरोध करना, अभिभावकों के साथ एक जटिल समस्या बन चूका* है । *शिक्षको के मनमानी व लूट प्रथा का विरोध करने पर इनके दरिंदगी का शिकार कमजोर वर्ग के बच्चो को होना पड़ता है और सुधार की जगह विद्यालय, और भी स्थानीय राजनीति का अखाड़ा साबित होता है तथा बेशर्मों की टोली इनके संरक्षक साबित होते आ रहे* है, *यूं कहा जाए कि दलाली व वोट की राजनीति ने शिक्षा जगत को भी लूट की छूट दे रखा है और गुरूजी जैसे शब्द व शिक्षक के गरिमामयी पद को चोर बना दिया है, तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं* होगी। *आलोक कुमार का आरोप है कि राजकीय कृत मध्य विद्यालय, परता के प्रधानाध्यापक को विभागीय अधिकारियों एवं लूट में संलिप्त जनप्रतिनिधियों  का भी संरक्षण प्राप्त* है! *फलस्वरूप उक्त विद्यालय में पढने वाले छात्र  - छात्राओं के भविष्य पर ग्रहण लग चूका* है! *जो एक गंभीर मामला* है, *तथा संज्ञेय अपराध* है। *इसलिए इस मामले में उच्च  - स्तरीय जाँच की आवश्यकता पर बल देते हुए आलोक कुमार ने सोशल  -  मीड़िया के माध्यम से औरंगाबाद जिले के सदर  - अनुमंड़ल  - पदाधिकारी तथा जिलाधिकारी से मामले में त्वरीत हस्ताक्षेप करते हुए मामले की निष्पक्ष जाँच स्वयं करने का माँग किया है, और जन संदेश में कहा है कि उच्च - स्तरीय जाँच से अनेकों गडबडी प्रकाश में आएगा और शिक्षा में भी सूधार होगा तथा प्रधानाध्यापक व चंद शिक्षकों के तांड़व व मनमानी से बच्चों एवं अभिभावकों को भी राहत मिलेंगे तथा विद्यालय में पोषाहर की चोरी व लूट की प्रथा पर पर रोक* लगेंगी । 
*अभिभावकों की बात मानें तो उक्त विद्यालय के प्रधानाध्यापक स्थानीय होने के कारण दवंगता से विरोध को दबा देते है तथा विद्यालय में मनमानी लूट व भ्रष्टाचार का सम्राज्य स्थापित कर चुके हैं तथा पद व प्रदत  - शक्तियों का दुरूपयोग कर सरकारी राशि को लूटने का कार्य करते आ रहे*  है।  *ज्ञात हो कि अधिकांश शिक्षा  - मित्र आज कुटुम्बा प्रखंड के विभिन्न विधालयों के लिए शिक्षा शत्रु साबित हो चूके* है, *और हाजरी बनाकर वेतन उठाना, घर के काम को निपटाकर जब मन चाहे, विद्यालय आना और हाजरी बनाकर वेतन उठाना इनका पुनित कर्तब्य बन चूका* है! *जबकी सरकारी विद्यालयों में पढने वाले बच्चों में 90 से 95 फिसदी तक गरीब तबके (दलित , पिछडा , अल्पसंख्यक वर्ग ) के ही  बच्चे* हैं।