योजना - भवन, औरंगाबाद में अनुसूचित जाति हैतू, जिला - स्तरीय, ग्रामीण जीवन बनाम शहरी जीवन पर आधारित वाद - विवाद, निबंध - प्रतियोगिता का किया गया आयोजन

*योजना   -  भवन, औरंगाबाद में अनुसूचित जाति हैतू, जिला  -  स्तरीय, ग्रामीण जीवन बनाम  शहरी जीवन पर आधारित  वाद  -  विवाद, निबंध   -  प्रतियोगिता का किया गया आयोजन                                         अजय कुमार पाण्डेय* औरंगाबाद: ( बिहार ) *मंगलवार दिनांक  - 26 अक्टूबर 2021 को मुख्यालय स्थित योजना भवन, सभागार में अनुसूचित जाति समुह हैतू माध्यमिक  -  स्तर के छात्र  - छात्राओं द्वारा जिला  -  स्तरीय, ग्रामीण जीवन बनाम शहरी जीवन पर आधारित वाद  -  विवाद,  निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया* गया!  *जो मंत्रिमंडल  -  सचिवालय  -  राजभाषा  -  विभाग, बिहार  -  सरकार, पटना एवं जिला  -  प्रशासन, औरंगाबाद के संयुक्त तत्वाधान में कार्यक्रम का आयोजन किया* गया! *जिला  - स्तरीय निबंध प्रतियोगिता का मूल्यांकन 27 अक्टूबर 2021 से बाद  -  विवाद, प्रतियोगिता का विषय, ग्रामीण जीवन बनाम शहरी जीवन, निबंध प्रतियोगिता का विषय शराबबंदी से समाज का बदलता स्वरूप पर भी आधारित* था! *इस कार्यक्रम का निवेदक, शिक्षा विभाग, औरंगाबाद* था! *जिसमें औरंगाबाद, जिला पदाधिकारी, सौरभ जोरवाल, पुलिस  - अधीक्षक, कानतेश कुमार मिश्रा, उप  - विकास  -  आयुक्त, अंशुल कुमार, सदर  - अनुमंडल  -  पदाधिकारी, विजयंत, जिला  -  शिक्षा  -  पदाधिकारी, संग्राम सिंह सहित गणमान्य शिक्षाविदों ने भी संयुक्त रूप से द्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत* की! *इस कार्यक्रम का संयोजक सह मंच संचालनकर्ता, डॉक्टर, निरंजय कुमार* रहे! *जिनके   मुताबिक इन्होंने जिला  - प्रशासन, औरंगाबाद का 500 कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न कराया* है! *हालांकि ऐसे तो यह कार्यक्रम बालक  - बालिकाओ के लिए शिक्षा के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण* हैं! *लेकिन इस कार्यक्रम में ग्रामीण क्षेत्र से कुछ ऐसे बालक भी आए* थे! *जो उपस्थित पदाधिकारियों के समक्ष विषय पर आधारित संबोधन के क्रम में काफी लड़खड़ा जा रहे* थे, *परंतु औरंगाबाद, जिलाधिकारी, सौरभ जोरवाल, पुलिस  - कप्तान, कानतेश कुमार मिश्रा, उप  -  विकास  - आयुक्त,  अंशुल कुमार,  सदर  -  अनुमंडल   - पदाधिकारी, विजयंत ने बारी  - बारी से सभागार में मौजूद बालक  -  बालिका, विद्यार्थियों को हौसला बढ़ाते हुए जीवन में निरंतर आगे बढ़ने की सलाह* दी! *ग्रामीण क्षेत्र से आए बच्चों को जब संबोधन के दौरान पुलिस  -  कप्तान, औरंगाबाद, कानतेश कुमार मिश्रा ने लड़खड़ाते हुए देखा, तो उनसे रहा नहीं* गया, *और अपने हाथ में कॉर्ड  - लेस माइक थामकर हौसला बढ़ाते हुए कहा कि मंच पर बोलने में घबराहट अधिक हो जाती* है!  *अभ्यास* करें, *बोलते समय यदि पिक्चराइज कर लेते* हैं, *तो बोलने में आसानी* होगी! *पहले अभ्यास कर* ले, *तो बोलने में आत्मविश्वास रखना* चाहिए! *आप लोग टी0वी0 का भाषण प्रधानमंत्री, विभिन्न पॉलीटिकल पार्टी के नेताओं का* देखें! *आप लोग देश का भविष्य* है! *मायूस होकर नहीं जाना* है! *आप लोगों का यह पहला पायदान* है! *चंद्रमा पर भी भारतीय वैज्ञानिक ने पहला कदम ही रखा* था! *आप लोग भी पहली सीढ़ियां चढ़ रहे* हैं! *इसके बाद डी0डी0सी0, अंशुल कुमार ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि सबसे बड़ी बात है कि आप जिले से चुनकर यहां आए* हैं! *यदि बीच में संकोच भी होता* है, *तो यह सभी के साथ होता* है! *जैसे  - जैसे पढ़ाई* करेंगे, *अच्छा होता* जाएगा! *अच्छे से* पढ़े! *जो चाहेंगे डॉक्टर, इंजीनियर आई0ए0एस0, आई0पी0एस0, पायलट बन सकते* हैं, *अभी मौका* है! *जो भी पढ़ते* हैं! *धीरे  - धीरे संचय होता* जाएगा!  *तत्पश्चात जिलाधिकारी ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि पहली लाइन पढ़ना* है! *हम लोग के साथ भी ऐसा होता* है!  *जो बोलना है, बोलिए, सोचिए* मत!  *हमको भी पहली बार नाम बताने में 20 बार बोलनी  पढ़ती* थी! *धीरे  - धीरे सब ठीक हो* जाएगा! *नाम बताने के लिए भी हम लोग भी प्रैक्टिस करते* थे! *पसीना आ जाता* था! *हाथ   - पांव फूलने  - कांपने लगते* थे! *कार्यक्रम संयोजक डॉक्टर, निरंजय ने जानकारी देते हुए बताया कि विभागीय निर्देश के आलोक में जिला  -  स्तरीय वाद  - विवाद, प्रतियोगिता एवं जिला  -  स्तरीय निबंध  -  प्रतियोगिता का आयोजन किया गया* है! *इस  प्रतियोगिता के लिए दो माह पूर्व से तैयारी की जा रही* थी, *तथा अनुसूचित जाति समूह के विद्यार्थियों को इस कार्यक्रम में भाग लेने हेतु प्रेरित किया जा रहा* था! *27 अक्टूबर 2021 से विभिन्न माध्यमिक एवं उच्च  -  माध्यमिक विद्यालय से प्राप्त निबंधों का मूल्यांकन योजना भवन में कराया* जाएगा! *कार्यक्रम संयोजक ने जानकारी देते हुए बताया कि विभागीय दिशा  - निर्देश के आलोक में 20 अभ्यर्थियों को नगद पुरस्कार तथा प्रमाण  -  पत्र से सम्मानित किया* जाएगा! *निर्णायक मंडल के सदस्यों में सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज, औरंगाबाद, सेवानिवृत्त, प्रोफेसर,  डॉ0 रामाधार सिंह, भूगोल विभाग, डॉक्टर, सुरेन्द्र प्रसाद मिश्र,, सेवानिवृत्त, प्रधानाध्यापक, राजकीय कन्या उच्च  -  माध्यमिक विद्यालय, अंबा, तीरथ यादव, स्नातकोत्तर शिक्षक, जवाहर नवोदय विद्यालय, बारुण, पंकज राठौर, केंद्रीय विद्यालय बभनडीह भी उपस्थित* रहे! *इस प्रतियोगिता में औरंगाबाद के 30 सरकारी माध्यमिक तथा उच्च  -  माध्यमिक विद्यालयों के छात्र  - छात्रा समूह ने हिस्सा* लिया! *इस प्रतियोगिता में भाग लेने वालों में अनुग्रह कन्या उच्च विद्यालय, औरंगाबाद, अनुग्रह इंटर विद्यालय, औरंगाबाद, अनुग्रह इंटर विद्यालय, नवीनगर, उच्च विद्यालय, खटिया, उच्च विद्यालय सुंदरगंज, उच्च विद्यालय, सिरिस, उच्च विद्यालय, टंडवा, किशोरी सिन्हा कन्या उच्च विद्यालय, औरंगाबाद, सरदार बल्लभ भाई पटेल इत्यादि विद्यालयों ने भी भाग* लिया! *इस कार्यक्रम में ग्रामीण क्षेत्र तरारी गांव से भाग लेने पहुंची रागिनी कुमारी को जब ग्रामीण क्षेत्रों पर बोलने के लिए तीन मिनट का मौका दिया* गया, *तो सभागार में संबोधित करते हुए कहा कि किसी ने सच ही कहा है कि गांव का निर्माण प्राकृतिक ने किया* है, *परंतु शहर का निर्माण तो मनुष्य ने किया* है! *उच्च विद्यालय नवीनगर से पहुंचा छात्र, प्रिंस कुमार को जब शहरी जीवन पर बोलने के लिए दो मिनट का समय दिया* गया, *तो लड़खड़ा* गया! *नहीं बोल* पाया! *तब कुछ देर तक सभागार में इंतजार करने के बाद उस छात्र को ग्रामीण जीवन पर बोलने का मौका दिया* गया! *तत्पश्चात रागिनी कुमारी को ही जब पुनः दूसरी बार ग्रामीण जीवन पर बोलने के लिए मौका दिया* गया, *तो कहा कि गांव के लोग बहुत भोले  - भाले होते* हैं! *गांव में यदि कोई व्यक्ति बीमार भी पड़ जाता* है, *तो उसे देखने के लिए गांव के सभी लोग जाते* हैं! *छात्र, शशि कुमार को जब बोलने का मौका दिया* गया, *तो संबोधित करते हुए कहा कि ग्रामीण जीवन में परिवार के साथ रहते* हैं! *वहां की हरियाली शोभा देती* है! *छात्र, प्रदीप कुमार ने भी शहरों जीवन  के संबंध में कहा कि शहर में वातावरण अशुद्ध होते* हैं! *इसी प्रकार अनुग्रह कन्या विद्यालय मे पढ़ने वाली दशम वर्ग की छात्रा श्रषिट राज ने भी ग्रामीण जीवन पर अपना मंतव्य देते हुए कहा कि गांव का नाम सुनकर ही हमें कफी सुकून मिलता* है! *शहर के लोग पेड़  -  पौधा लगाना पसंद करते* हैं! *लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में इसे लोग  अपना काम समझते* हैं! *ग्रामिण क्षेत्रों से ही नदियों की शीतल बहती हुई निर्मल धारा समुद्र में जाकर मिलती* है! *इसके अलावे बारुण से पहुची प्रिया कुमारी, अनुग्रह कन्या की छात्रा,  शालिनी कुमारी, श्रषिट कुमारी, दाउदनगर से पहुंची चांदनी कुमारी वगैरह के साथ  - साथ प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी छात्र  -  छात्राओं का भी ग्रामीण जीवन बनाम शहरी जीवन पर आधारित वाद  - विवाद प्रतियोगिता चलता* रहा!