जीबीएम कॉलेज में विदाई-सह-सम्मान समारोह का आयोजन*

*जीबीएम कॉलेज में विदाई-सह-सम्मान समारोह का आयोजन*

*-डॉ किरण बाला सहाय तथा श्रीमती अंजुम आरा की सफल सेवानिवृत्ति पर प्रधानाचार्य प्रो अशरफ ने शुभकामनाएँ दीं।*
रिपोर्टः दिनेश कुमार पंडित
गया बिहार 
अन्तर्राष्ट्रीय पत्रकार

गया। गौतम बुद्ध महिला कॉलेज में प्रधानाचार्य प्रो डॉ जावेद अशरफ की उपस्थिति में महाविद्यालय परिवार द्वारा हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ किरण बाला सहाय तथा मनोविज्ञान विभाग में कार्यरत श्रीमती अंजुम आरा की सेवानिवृत्ति पर विदाई-सह-सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। प्रधानाचार्य सहित समस्त महाविद्यालय परिवार ने डॉ सहाय और श्रीमती आरा को पुष्पगुच्छ तथा भावपूर्ण भेंट प्रदान कर सम्मानित किया। प्रो उषा राय ने डॉ सहाय तथा श्रीमती आरा को "साइलेंट वर्कर्स" बताते हुए उनके सर्वसुलभ सहयोग की यादें साझा कीं। डॉ किश्वर जहाँ बेगम ने डॉ सहाय के साथ बिताए लम्हों को याद करते हुए कहा कि मुश्किलों में रहेगा याद साथ आपका, गिरते हुए को रहेगा, याद हाथ आपका। डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने कवि सुमित्रानंदन पंत की प्रसिद्ध पंक्तियाँ "यह साँझ-उषा का आँगन, आलिंगन विरह-मिलन का। चिर हास-अश्रुमय आनन रे इस मानव-जीवन का...", उद्धृत करते हुए कहा कि जीवन में सुख-दुख, हँसना-रोना, आना-जाना, मिलना-बिछड़ना लगा ही रहता है। हमें उन्मुक्त भाव से मुस्कुराते हुए जीवन के दोनों पक्षों का स्वागत करने को तैयार रहना चाहिए। उन्होंने डॉ सहाय के सरल, स्नेहिल तथा सौम्य व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए स्वास्थ्य की मंगलकामना की। इस अवसर पर प्रो अफ्शाँ सुरैया, डॉ नूतन कुमारी, डॉ शगुफ्ता अंसारी, डॉ प्रियंका कुमारी, प्रीति शेखर, डॉ दीपशिखा पांडे ने भी डॉ किरण बाला के साथ बिताए पलों के खट्टे-मीठे यादगार अनुभवों को साझा किया। अध्यक्षीय भाषण में प्रधानाचार्य प्रो अशरफ ने मशहूर शायर मजरूह सुल्तानपुरी की 'हमें शुऊर-ए-जुनूँ है कि जिस चमन में रहे, निगाह बन के हसीनों की अंजुमन में रहे। तू ऐ बहार-ए-गुरेजाँ किसी चमन में रहे, मिरे जुनूँ की महक तेरे पैरहन में रहे' पंक्तियों को उद्धृत करते हुए डॉ सहाय तथा श्रीमती आरा को सेवानिवृत्ति के उपरांत आने वाले जीवन के लिए हार्दिक शुभकामनाएंँ दीं। उन्होंने दोनों को सेवानिवृत्ति के बाद भी कॉलेज से रिश्ता बनाए रखने का अनुरोध किया।  

शिक्षकेतर कर्मियों का प्रतिनिधित्व करते हुए सुनील कुमार ने डॉ सहाय और श्रीमती आरा के द्वारा मिले स्नेह और सहयोग के प्रति आभार व्यक्त करते हुए भविष्य के लिए मंगलकामना की। कार्यक्रम के अंतिम पड़ाव में सेवानिवृत्त हो रहीं हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ सहाय ने कॉलेज में प्राप्र अपने यादों को साझा करते हुए सेवा के दरम्यान मिलने वाले सहयोग तथा सम्मान के लिए पूरे महाविद्यालय परिवार के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की।ज्ञात हो कि डॉ सहाय ने सर्वप्रथम हिन्दी व्याख्याता के रूप में वर्ष 1996 में बीएन मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में योगदान दिया था तथा जीबीएम कॉलेज में 2009 से कार्यरत थीं। वहीं श्री मती अंजुम आरा ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे इस कॉलेज में वर्ष 1982 से कार्यरत थीं और इसी कॉलेज की छात्रा भी रह चुकी हैं। कार्यक्रम का संयोजन डॉ नगमा शादाब तथा संचालन प्यारे माँझी ने किया। इस विदाई-सह-सम्मान समारोह में डॉ पूजा राय, डॉ अनामिका कुमारी, डॉ शिल्पी बनर्जी, डॉ फरहीन वज़ीरी, डॉ रुखसाना परवीन, ईमा हुसैन, अर्पणा कुमारी, मीरा देवी, अजय कुमार, रौशन कुमार, नीरज कुमार आदि भी उपस्थित थे।