कोरोना काल में निजी अस्पतालों के कर्मियों द्वारा लापरवाही से किस तरह मरीजों की जान ली

कोरोना काल में निजी अस्पतालों के कर्मियों द्वारा लापरवाही से महिला मरीजों की जान ली

रिपोर्टः

डीके पंंडित

गयाबिहार

बिहार के सुशासन बाबू की सरकार को देखिए यहां कोरोना काल में निजी अस्पतालों के कर्मियों द्वारा लापरवाही से किस तरह मरीजों की जान ली जा रही है। जी हां यह हकीकत और सोलह आना सच है। यह घटना कोरोना काल के समय 21 अप्रैल की है जहां गया के एक पत्रकार रामकृत कुमार निराला की पत्नी की जान अस्पताल के संचालक एवं कर्मियों की लापरवाही के कारण हो गई थी पत्रकार आरके निराला ने बताया कि गया जिला गोदावरी मुहल्ला स्थित संक्रामक अस्पताल के उतरी गेट के पास अवस्थित जेपी मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में 20 अप्रैल को अपनी पत्नी रजनी देवी को भर्ती कराया था और 21 अप्रैल की सुबह 7:00 बजे के करीब वहां के संचालक द्वारा यह कहा गया कि आप यहां से कहीं दूसरे जगह ले जाएं। इस पर पत्रकार  ने कहा कि एक एंबुलेंस व्यवस्था कर दें जिसमें ऑक्सीजन लगा हो संचालक ने अपने स्टाफ को एक एंबुलेंस लाने के लिए कहा और स्टाफ ने एंबुलेंस मंगवा कर अस्पताल के दरवाजे के पास खड़ा किया। पत्रकार आरके निराला ने संचालक एवं वहां के कर्मी से बार-बार मिन्नतें करते रहा कि कृपया एंबुलेंस में शिफ्ट करते समय यहां से ऑक्सीजन लगे रहने दें जब एंबुलेंस में शिफ्ट करें तभी एम्बुलेंस में रखे ऑक्सीजन की पाइप लगाए। ऑक्सीजन पाइप ना निकालने के लिए पत्रकार आरके निराला ने वहां के संचालक एवं स्टाफ से मिन्नतें करते रहे परंतु वहां क्या स्टाफ  ने मरीज के नाक में लगे ऑक्सीजन पाइप जबरन निकाल दिया और जैसे ही एंबुलेंस के पास पहुंचाया गया तब तक वह दम तोड़ चुकी थी। विडम्बना इस बात की है, की एम्बुलेंस में कोई ऑक्सीजन सिलिंडर नही था। इतना बड़ा झूठ बोला वहाँ के संचालक और स्टाफ ने जबकि जिस वक्त ऑक्सीजन पाइप लगा था उस समय वह नॉर्मल थी और आराम से बातचीत कर रही थी। इस तरह अस्पताल की लापरवाही से उनकी पत्नी की जान चली गई। आपको बता दें कि इस घटना की लिखित सूचना उसी दिन विष्णुपद थाने को दी गई लेकिन उसे ठंडे बस्ते में रख दिया गया और अब तक कोई कार्रवाई नहीं किया गया फिर पुनः गया के वरीय पुलिस अधीक्षक आदित्य कुमार से मुलाकात कर पत्रकार आरके निराला ने एक आवेदन दिया अभी तक विष्णुपद थाना प्रभारी ने उस पर प्राथमिकी दर्ज नहीं किया है और अभी जांच कर रिपोर्ट देने को देने की बात कहीं गई है आप सोच सकते हैं कि जब एक पत्रकार को अपनी पत्नी की मौत की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराने के लिए कितना पापड़ बेलना पर रहा है तो आम आदमी का क्या होगा यह तो ऊपर वाला ही जाने यही है बिहार के सुशासन बाबू की सरकार।जहां प्राइवेट अस्पतालों की यही कहानी है। जहां कई डॉक्टरों का बोर्ड लगा है मगर यहां पर डॉक्टर उपस्थित नहीं रहते हैं। यहां केवल अनट्रेंड लड़के रहते और इनके लापरवाही के कारण कई मरीजों की जान जा चुकी है।कहावत में है, चोरी और सीनाजोरी, एक तो जबरन ऑक्सीजन का पाइप नाक से निकाल दिया और पूछने पर सटीक जवाब देता है, की पाइप नही निकलते तो यही होता कि 10 -15 मिनट बाद घटना होती । यह वीडियो के माध्यम से आप स्वयं देख सकते हैं।  सोचिए ऐसे लापरवाही करने वाले व्यक्ति पर किया कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए? आपको बता दें कि 15 अक्टूबर की घटना इसी अस्पताल में घटी जहां लापरवाही के कारण 2 मरीजों का जान अस्पताल के कर्मियों द्वारा ले लिया गया और वहां से पुलिस आने के पहले सभी अस्पताल के कर्मी फरार हो गए । उसके परिजनों ने विष्णुपद थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है।पत्रकार आरके निराला ने अपनी पत्नी की मौत की घटना की प्राथमिकी दर्ज कराने एवं दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से किया है।           बाइट-रूपा देवी (सब इंस्पेक्टर विष्णुपद थाना)