*'शब्दाक्षर' की त्रैमासिक पत्रिका के लोकार्पण पर डॉ प्रेम शंकर त्रिपाठी ने दीं शुभकामनाएंँ*
रिपोर्टः डीके पंडितों गयाबिहार
*-दीपावली को समर्पित काव्य गोष्ठी में मनमोहक कविताओं की प्रस्तुति*
*"आई रात अमावस की, जगमगा उठे असंख्य तारे।*
*धरती पर जलते दीप लग रहे जुगनू से प्यारे-प्यारे।"*
*-साहित्यिक साक्षात्कार में प्रसिद्ध साहित्कार ममता किरण के संग वार्ता*
साहित्यिक संस्था 'शब्दाक्षर' की साहित्यिक त्रैमासिकी 'शब्दाक्षर पत्रिका'(अक्टूबर 2021-दिसंबर 2021) का लोकार्पण संस्था के संरक्षक-सह-प्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार डॉ प्रेम शंकर त्रिपाठी, अमेरिका से जुड़े कवि इन्द्र अवस्थी, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता के मंत्री-सह-कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ केयूर मजूमदार, शब्दाक्षर के राष्ट्रीय अध्यक्ष-सह-प्रधान संपादक रवि प्रताप सिंह, संपादक सुमति श्रीवास्तव, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह 'सत्य', राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दया शंकर मिश्र, राष्ट्रीय सचिव सुबोध कुमार मिश्र, राष्ट्रीय सलाहकार समिति की सदस्य दुर्गा व्यास, राष्ट्रीय साहित्य मंत्री नीता अनामिका, राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी निशांत सिंह 'गुलशन', शब्दाक्षर तेलंगाना प्रदेश अध्यक्ष ज्योति नारायण तथा कार्यक्रम सूत्रधार-सह-शब्दाक्षर दिल्ली की प्रदेश अध्यक्ष संतोष संप्रीति सहित अन्य सम्मानित साहित्यकारों की गौरवमय उपस्थिति में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
लोकार्पण समारोह में महापर्व दीपावली को समर्पित सरस काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ डॉ प्रेम शंकर त्रिपाठी के आशीर्वचनों तथा शुभकामनाओं से हुआ। इस काव्य गोष्ठी में मंचासीन रचनाकारों ने एक से बढ़कर एक कविताओं का प्रशंसनीय का पाठ किया। राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सिंह की कविता "दीपों की वरमाला लेकर, नभ पर चढ़ती जाए दिवाली, आज कहाँ छुप बैठा चंदा, तारों का मोहक वनमाली..." को श्रोताओं ने खूब सराहा। डॉ रश्मि प्रियदर्शनी ने "आई रात अमावस की, जगमगा उठे असंख्य तारे, धरती पर जलते दीप लग रहे जुगनू से प्यारे-प्यारे, मिष्ठानों और व्यंजनों से है भरी तश्तरी, हर थाली, चहुँओर नज़ारा अनुपम है, आई मनमोहक दीवाली.." का सुमधुर पाठ कर सबको मंत्रमुग्ध कर डाला। दया शंकर मिश्र की ज्योति से ज्योति जलाते चलो की तर्ज पर रचित कविता "शब्द से शब्द मिलाते चलो, गीतों की गंगा बहाते चलो' तथा त्याग की लिए मशाल ज्योति यह जले" के सस्वर पाठ पर सभी झूम उठे। शब्दाक्षर की गोवा प्रदेश अध्यक्ष वंदना चौधरी ने श्री राम को समर्पित ओजमयी कविता पढ़ी।जहाँ दुर्गा व्यास ने "दीप जलाओ ज्ञान का", संतोष संप्रीति ने "उम्र के इस दायरे पर आ खड़ी हूँ" पंक्तियाँ पढ़ीं, वहीं इन्द्र अवस्थी ने "मेघ बरसे नेह तरसे"। नीता अनामिका ने "अमावस के तिमिर को हरता जलता दीप, जैसे सागर तल में मोती छिपाए सीप" तथा शब्दाक्षर झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष रणविजय कुमार ने "आतंकी ताकत के आगे झुक जाएँ हम वो ढाल नहीं, थप्पड़ खाने को जो बढ़ जाएँ, वो मेरे गाल नहीं.." पंक्तियाँ पढ़ीं। अध्यक्षीय भाषण में सभी प्रस्तुतियों की प्रशंसा करते हुए डॉ केयूर मजूमदार ने अपनी कविता 'कल तो रोटी मिलेगी' से "दिन तो है बीता, काम खतम, लोग चले घर अपने अपने, लंबी सड़कें, ऊँचे मकान, टूटे हैं कितनों के सपने.." पंक्तियाँ पढ़ खूब वाहवाहियाँ बटोरीं। काव्य गोष्ठी में सुबोध कुमार मिश्र, राजेन्द्र द्विवेदी ने भी विचार रखे।
दीपावली पर आयोजित 'शब्दाक्षर' के साहित्यिक साक्षात्कार में हिंदी की सुपरिचित लेखिका व प्रख्यात कवयित्री ममता किरण आमंत्रित थीं। वार्ताकार नीता अनामिका के अनुरोध पर श्री मती किरण ने अपनी पुस्तक 'आंगन में शज़र' तथा 'वृक्ष था हरा भरा' से अपनी रचनाएँ सुनाते हुए बतलाया कि कोई भी साहित्यकार मौज़ूदा हालातों से अछूता नहीं रह सकता। वास्तव में साहित्यकार वही है जो समाज के समक्ष सच्चाई रखे। वार्ता के दरम्यान रवि प्रताप सिंह, दया शंकर मिश्र, सत्येंद्र सिंह 'सत्य', सुबोध मिश्र, महावीर सिंह 'वीर', डॉ रश्मि प्रियदर्शनी, निशांत सिंह 'गुलशन' तथा पश्चिम बंगाल नाट्य जगत के सुप्रसिद्ध अभिनेता और निर्देशक प्रताप जायसवाल भी उपस्थित थे।