जल-जीवन-हरियाली दिवस के अवसर पर वर्चुअल मोड में कार्यक्रम का आयोजन

जल-जीवन-हरियाली दिवस के अवसर पर वर्चुअल मोड में कार्यक्रम का आयोजन 
गया, 02 नवम्बर 2021- 
रिपोर्टः डीके पंडित
गया बिहार
*जल-जीवन-हरियाली दिवस के अवसर पर वर्चुअल मोड में कार्यक्रम का आयोजन सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग,बिहार पटना द्वारा किया गया।इस अवसर पर परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसका विषय- "जल जीवन हरियाली जागरूकता अभियान" के तहत पदाधिकारियों ने अपने विचार रखे।*

उक्त कार्यक्रम की अध्यक्षता  सचिव सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग, बिहार श्री अनुपम कुमार द्वारा  किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री बिहार द्वारा जल-जीवन-हरियाली अभियान की परिकल्पना की गई जो बिहार एवं देश के लिए वरदान साबित हुई है। इस अभियान से वातावरण तथा जल को संरक्षित करने में हमे काफी सहयोग मिला है। उन्होंने बताया कि  जल-जीवन-हरियाली अभियान माननीय मुख्यमंत्री की परिकल्पना है। 25.5 हजार करोड़ बजट 5 वर्ष का है। जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने हेतु इस अभियान का अत्याधिक महत्व है। इस अभियान में अधिक से अधिक जन जागरूकता आवश्यक है। तभी हम पर्यावरण को सुरक्षित रख सकतें है और तभी हमारा जीवन सुरक्षित रह सकेगा।

कार्यक्रम का संचालन श्री संजय कृष्ण उप-सचिव, सूचना जनसंपर्क विभाग, बिहार द्वारा करते हुए बताया गया कि  जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ एवं सुखाड़ की स्थिति आ रही है। जलवायु परिवर्तन से बिहार भी पूरी तरह प्रभावित है। असमय वर्षा, अचानक कम से भारी वर्षा, सुखाड़, अत्याधिक गर्मी का सामना हम कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन का असर वर्षापात पर भी पड़ा है। भू-गर्भ जल के अत्यधिक दोहन से पेयजल की किल्लत हो गई थी। हीट-वेव का सामना भी किया जाता रहा है। बिहार में जलवायु परिवर्तन तथा पेयजल की भारी कमी को देखते हुए सरकार द्वारा जल जीवन हरियाली का निर्णय   वर्ष 2019 में लिया गया। इस अभियान को अधिक प्रभावी बनाने तथा जन जागरूकता हेतु जनवरी 2020 में विशाल मानव श्रृंखला का निर्माण पूरे राज्य में कराया गया। जो  ऐतिहासिक  एवं असाधरण साबित हुआ।

उन्होंने बताया कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के 11 अवयव है। राज्य सरकार ने हरित आवरण बनाने के लिए 15% से अधिक का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है।
इस अभियान को और अधिक सफल बनाने हेतु जन जागरूकता की आवश्यकता है,तभी हम जल, जलवायु और पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं। अधिक से अधिक वृक्षारोपण, जल संरक्षण,जंगल का बचाव,सौर ऊर्जा का उपयोग, नदी,तालाब, पोखर, पइन एवं कुआं इत्यादि का संरक्षण एवं जीर्णोद्धार कार्यक्रम में आम लोगो की सहभागिता आवश्यक है, तभी हम जल-हरियाली को बचा पाएंगे और तभी हमारा जीवन सुरक्षित रहेगा।

परिचर्चा में भाग लेते हुए डॉ०  राजेश कुमार, कृषि विभाग ने कहा कि फसल अवशेषों को खेत मे न जलाने हेतु अंतर विभागीय कार्यक्रम गठित किया गया है। जिसकी बैठक 22 अक्टूबर 2021 को किया गया है। फसल अवशेष को जलाने से हमारा पर्यावरण तो दूषित होता ही है साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी नष्ट होती है। सभी जिलों में भी इस कार्यक्रम में जन जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे है तथा इसका व्यापक प्रचार प्रसार किया जा  रहा है। फसल अवशेष को वर्मी कम्पोस्ट बनाने में उपयोग किया जा सकता है।

श्री दिलीप कुमार सिंह, संयुक्त निदेशक पशु एवं मत्स्य विभाग द्वारा बताया गया कि तलाबों,नदियों, नहरों  इत्यादि जलस्रोतों से गंदगी तथा प्रदूषण को समाप्त करने की आवश्यकता है। तभी जलीय जीव, पेड़-पौधे, नदी, तालाब  के पानी को सुरक्षित रखते हुए हम इसका उपयोग कर सकते हैं। प्राकृतिक संसाधन यथा वृक्ष, पहाड़, नदी, नाले,चेक डैम का संरक्षण आवश्यक है।

श्री राकेश कुमार, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने बताया कि 2012 में द्वितीय कृषि रोड मैप बनाया गया, जिसमें वन विभाग को एक अलग पहचान दिया गया। इस वर्ष सरकार ने हरियाली मिशन का गठन किया, जिसमें निर्णय लिया गया कि  2017 तक वृक्षारोपण के तहत ट्री कवर को 15% तक ले जाएंगे।  2017-2022 तक 17% तक करने का लक्ष्य दिया गया। जनसंख्या घनत्व के कारण हमारे पास वन लगाने हेतु जगह कम है। इसे देखते हुए फॉरेस्ट्री को खेतो में, गांव में ले जाने का निर्णय लिया गया। कृषि वानिकी में वृक्षारोपण को काफी बल मिला।

 क्लाइमेट चेंज को रोकने हेतु बिहार अच्छी पहल कर रहा है। जल-जीवन-हरियाली एक सराहनीय कदम है क्योंकि इससे वातावरण में काफी सुधार हो रहा है। वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ट्री कवर बढ़ाने हेतु हम आम लोगों के पास जा रहे हैं। लगभग 28 करोड पौधे केवल किसानों ने लगाए हैं।  2019-20 में जीविका को शामिल किया गया। जीविका दीदी को पेड़ लगाने हेतु जन जागरूकता  किया गया। हर गांव तक  वृक्ष लगाने हेतु लोगो को जागरूक कर रहे हैं। 
28-29 करोड़ पौधे अब तक लगाए जा चुके हैं। विद्यालय के बच्चों को पेड़ लगाने, उसके संरक्षण के बारे में तैयार कर रहे हैं। अगले पीढ़ी को जल को संचित करने तथा पर्यावरण को संरक्षण हेतु कार्य करने के बारे में बता रहे हैं तथा वृक्ष को गांव, शहरों, सड़क किनारे, कार्यालयों, खेतों में विद्यालयों में,घरों के आसपास लगा रहे हैं ताकि जल एवं हरियाली से हमारा जीवन सुरक्षित रहे।

श्री किशोर कुमार, मुख्य अभियंता, पी०एच०ई०डी० ने बताया कि जल को सही तरीके से लोगों तक पहुंचाने, पृथ्वी के गर्भ से जल के दोहन को कम करने, जल संरक्षण पर कार्य किया जा रहा है। जल को बचाने हेतु लोगों को जागरूक करना आवश्यक है,तभी हम जल को बचा पाएंगे। चेक डैम, रूफटॉप हार्वेस्टिंग, सोख्ता के माध्यम से हम जल को संरक्षित कर रहे हैं। वाटर टेबल पर निगरानी हेतु पी०एच०ई०डी० एवं लघु सिंचाई विभाग को जिम्मा दिया गया है। इसमें वृद्धि हेतु हम नई जल  संरचनाओं का विकास करे तथा अधिक से अधिक वृक्ष लगावे। 30 से 40% पानी की आवश्यकताओं मे हम वर्षा जल का उपयोग कर सकते हैं।

परिचर्चा एवं कार्यक्रम का समापन श्री लाल बाबू सिंह सहायक निदेशक, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के धन्यवाद ज्ञापन द्वारा किया गया।

गया जिला स्तर पर  श्री सुमन कुमार उप-विकास आयुक्त की अध्यक्षता में कार्यक्रम किया गया जिसमें जिला जन सम्पर्क पदाधिकारी, डी० पी० एम० मनरेगा, उप निदेशक कृषि भूमि संरक्षण, रविन्द्र कुमार परियोजना निदेशक आत्मा, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सर्व शिक्षा अभियान, कनीय अभियंता ब्रेडा,कनीय अभियन्ता नगर परिषद बोधगया सहित अन्य पदाधिकारी एवं अभियंता शामिल थें।