सिरसोद में यूरिया400 से 450तक बिक रहा

*सिरसोद में यूरिया400 से 450तक बिक रहा*

*अधिकारी शेर तो व्यापारी सवा शेर*


करैरा अनु विभाग के अंतर्गत आने वाले आदर्श गांव सिरसौद में इन दिनों  यूरिया खाद की बोरी 400 से 450 तक बिक रही है|  किसानों की इस मजबूरी का फायदा उठाते हुये व्यवसायी खाद के दाम मनमाने ले रहे हैं! समयानुसार प्रत्येक किसान को  इस समय खाद की आवश्यकता है! जिन किसानों के पास रकम की व्यवस्था नहीं हो पाएगी उनके लिए अपनी फसल की अच्छी पैदावार करना मुश्किल साबित हो रहा है! क्योंकि अच्छे खाद लेने के लिए भारी रकम व्यापारियों को चुकानी पड़ रही है! जहां शासन प्रशासन द्वारा खाद की कीमत और उपलब्धता के बारे में जो दावे किए जा रहे हैं, वह खोखले नजर आते हैं!  यूरिया की कीमत  दुकानदारों द्वारा बढ़-चढ़कर ली जा रही है! जिससे कि  लघु सीमांत किसानों के सामने विकट समस्या पैदा हो गई है! खाद की कालाबाजारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है! लाइसेंसी दुकानों पर ऊंचे दामों पर खाद मिलने से किसानों में मायूसी छा गई है! जहां सरकार द्वारा समय-समय पर किसान हितेषी विभिन्न योजनाएं बनाकर लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जाता है उसी प्रकार इसके विपरीत व्यापारी लोगों द्वारा लाभ की अपेक्षा चौगुनी मोटी रकम किसानों की मजबूरियों का फायदा उठाकर वसूली जा रही है! आखिर किस  प्रकार किसानों आय बढ़ेगी! सिरसोद कस्बे से आसपास के दो दर्जन से अधिक छोटे-छोटे गांव जुड़े हुए हैं, इन गांवों के लोगों को भी सिरसौद के व्यापारियों से लुटना पड़ रहा है!वहीं नकद पैसा लेकर किसानों को उसकी बिल रसीद भी नहीं दी जा रही है!जो मोटी रकम वसूल रहे हैं! और व्यापारियों के पास भारी भरकम खाद कहां से आ जाता है! क्या सरकार के जिम्मेदारों की सह पर किसानों के साथ खिलवाड़ कर कारोबार चलता है!  हर साल रवी की फसल की बोवनी के समय खाद की कमी देखी जाती है! परंतु प्रशासन द्वारा समय रहते हुये इस प्रकार की समस्या के निदान के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं किए जाते हैं, और यह परेशानी किसानों को झेलनी पड़ती है!


*अधिकारियों के आते ही व्यापारियों ने बंद कर दी दुकानें*


आदर्श गांव सिरसोद में जैसे ही तहसीलदार,आर आई और कृषि विभाग के अधिकारी तथा पुलिस की मौजूदगी  में छापामार कार्रवाई की गई !
अधिकारियों के आते ही व्यापारी अपनी-अपनी दुकानें बंद करके भाग गए! अधिकारी घंटों खड़े रहे और तमाम प्रयासों के बावजूद भी दुकानदारों ने अपनी दुकाने, गोदाम नहीं खोलें! आदर्श गांव में करीब आधा सैकड़ा खाद की दुकान है! इनमें से सभी दुकानें बंद रही, सिर्फ एक व्यापारी की नाम मात्र के लिए दुकान खुलवा कर कुछ बैग खाद लोगों को दिया गया! तमाम अधिकारी आए तो गांव में किसानों की भीड़ लगने लगी! एक दुकान पर खाद बिका वह किसानों के लिए ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुआ! ऐसे हालात में स्पष्ट समझा जा सकता है कि व्यापारियों के सामने अधिकारी नतमस्तक नजर आए, क्योंकि अधिकारियों ने गोदाम खुलवाने के तमाम प्रयास किए लेकिन व्यापारियों ने अपने गोदामों के ताले नहीं खोलें!
पूर्व में भी गांव में डीएपी खाद महंगी कीमतों पर बिका, पहले भी छापामारी की गई, व्यापारियों को नोटिस दिए गए, लेकिन अभी तक महंगा खाद बेचने वाले व्यापारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई! ऐसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नोटिसों का जवाब नोटो में पहुंच गया होगा!


*क्या डीलरों से ही छोटे व्यापारियों को खाद ऊंची  रेट पर मिलता है?* 

आखिर प्रश्न उठता है कि छोटे व्यापारियों को बड़े-बड़े डीलरों से खाद बीज और दवाइयां महंगी रेट पर मिलती हैं इसलिए छोटे व्यापारियों की मजबूरी तो नहीं है उनको ऊंचे दामों पर खाद बेचना पड़ रहा हो? प्रशासन का डंडा छोटे व्यापारियों पर ही चलता नजर आता है यदि ऐसा विषय हो तो शासन प्रशासन को इस विषय पर भी गंभीरता से ध्यान देना चाहिए!