ईद मिलादुन्नबी पर निकाले गए जुलूस,दिखा खासा उत्साह
रांची खबर झारखंड से
ईद मिलादुन्नबी पर गिरीडीह शहरी और ग्रामीण इलाकों में जश्न का माहौल है। प्रमुख सड़कों और मुहल्लों को रंग-बिरंगे झालरों से सजाया गया है।वहीं त्योहार को लेकर मुस्लिम इलाकों में खासा उत्साह है। घरों में पकवान बनाए जा रहे हैं। बताया गया कि आज का दिन मुस्लिम समाज के लिए बड़ा महत्व रखता है। इस दौरान मुस्लिम धर्मगुरुओं ने जगह-जगह जुलूस की अगुआई कर लोगों को इस्लाम धर्म की महत्ता बताई और भाईचारे का संदेश दिया। कहा कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब ने पूरी दुनिया में फैली बुराइयों को खत्म करने का आदेश दिया था। कहा कि हर मुसलमान को पैगम्बर, कुरान तथा हदीस में बनाई गई बातें ताउम्र अमल करने की कोशिश करनी चाहिए।इधर डुमरी प्रखण्ड में इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे माह रबी अल अव्वल की 12वीं तिथि को मनाया जाने वाला मिलाद उन नबी अर्थात ईद मिलादुन्नबी रविवार को प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में शांतिपूर्ण व सौहार्दपूर्ण के वातावरण मनाया गया।इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में देश,राज्य एवं समाज में अमन व शांति के लिए जुलूस निकाला गया।कारी बरकत अली एवं प्रो.(मोहब्बत) इसराइल के नेतृत्व में इसरी बस्ती से निकला अमन व सौहार्द का संदेश वाहक जुलूस बेरमो मोड़,वनांचल चौक से होते हुए वापस इसरी चौक तक गया,इस दौरान सभी लोग समाज में भाईचारा क़ायम रखने एवं भारत की उन्नति की कामना करते दिखे।वहीं जामतारा अंजुमन कमिटी द्वारा भी अपने धर्म के प्रतीक चिह्न के साथ जुलूस निकाला गया।शामिल सभी लोग अनुशासित ढंग से चल रहे थे।जुलूस में शामिल लोगों को जगह जगह पेयजल व अल्पाहार की व्यवस्था की गई थी। जुलूस क्षेत्रों का भ्रमण करते हुए अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच कर समाप्त हुआ वहीं प्रदर्शनी के रूप में जामा महजीद व मक्का मदीना,अजमेर दरगाह आदि की प्रतीक तजिया बनाया गया था।इस दौरान कैय्युम अंसारी,समशुद्दीन अंसारी आदि सैकड़ों लोग उपस्थित थे। इधर ईद मिलादुन्नबी के संबंध में कहा जाता है कि इसी दिन मक्का शहर में 571 ईस्वी में पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था और इसी की याद में ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया जाता है।विभिन्न क्षेत्रों में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जुलूस निकाल पैगंबर साहब के संदेशों से लोगों को बताते हुए सभी से शांति-सद्भाव की अपील की।मुस्लिम धर्मावलंबियों ने पैगंबर मोहम्मद हजरत साहब द्वारा दी गई शिक्षा को पढ़ा और उन्हें याद किया।मोहम्मद हजरत साहब के द्वारा किए गए सभी अच्छे कामों को याद किया।बच्चों को पैगंबर मोहम्मद साहब के बारे में तालीम दी।वहीं पैगंबर मोहम्मद साहब के प्रतीकात्मक पैरों के निशान पर प्रार्थनाएं की साथ ही साथ इस्लाम का सबसे पवित्र ग्रंथ कुरान भी इस दिन पढ़ा।इसके अलावा लोग दरगाहों पर जाकर अल्लाह से अपने व अपने परिवार की सुख शांति व खुशहाली की कामना की।