ब्राउन प्लान्ट हॉपर - BPH (भूरा फुदका कीट/मधुआ कीट) नियंत्रण हेतु ससमय सही कीटनाशी का प्रयोग करें किसान-जिला पदाधिकारी, गया।*

 

(गया/दिनांक 01.11.2022)

रिपोर्टः डीकेपंडित गयाबिहार

*ब्राउन प्लान्ट हॉपर - BPH (भूरा फुदका कीट/मधुआ कीट) नियंत्रण हेतु ससमय सही कीटनाशी का प्रयोग करें किसान-जिला पदाधिकारी, गया।*

वर्तमान में गया जिला अन्तर्गत मौसम में उतार चढ़ाव होने के कारण धान फसल में भूरा तना मधुआ कीट (BPH) का प्रकोप जिले के विभिन्न प्रखंडों में देखने को मिल रहा है। BPH कीट का आक्रमण अगस्त-सितम्बर से प्रारम्भ होकर धान की कटाई तक रहता है। इस कीट का आक्रमण जिन खेतो में यूरिया का उपयोग बहुत ज्यादा तथा पोटाष का उपयोग कम किया गया है वहाँ ज्यादा होता है अर्थात जिन धान के खेतों में यूरिया का बहुत उपयोग होता है उन खेतों में BPH का आक्रमण होता है।

प्रारम्भ में ये कीट थोड़ी जगह पर आक्रमण करते है, फिर ये कीट रिंग/गोलाई में आगे बढ़ते है। BPH कीट धान के तनों पर चिपके रहते है तथा इसका जूस/रस पी जाते है। इससे पौधे शक्तिहीन होकर लुंज-पुंज पुआल हो जाते है, जिन्हे पशु भी नहीं खाते हैं।

मधुआ कीट का नियंत्रण प्रारंभिक सावधानी अपनाकर किसान आसानी से कर सकते हैं। कीट के व्यस्क एवं निम्फ दोनो ही अवस्था में फसलों के हरे हिस्से से रस चूसकर नुकसान पहुॅचाते हैं। ये बहुत तेजी से अपनी संख्या को बढ़ाते हैं। अतः शुरुआती लक्षण दिखते ही अनुसंषित कीटनाषकों को जड़ क्षेत्र में छिड़काव कर कीट के फैलाव को नियंत्रित किया जा सकता है। प्रभावित क्षेत्र में दवा का छिड़काव करने के साथ ही प्रभावित क्षेत्र के बाहर गोलाई में 10 कदम बाहर तक दवा का छिड़काव करना है एवं आवष्यकतानुसार दवा का असर कम होने पर दूसरी दवा का छिड़काव पुनः किया जा सकता है। कीटनाषकों के छिड़काव के समय पानी की मात्रा 150 से 200 लीटर / एकड़ होना चाहिये। 

जिला स्तर पर कीट के नियंत्रण के लिये जिला कृषि कार्यालय, गया में एक निगरानी कोषांग एवं नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। यह नियंत्रण कक्ष प्रति दिन पूर्वाह्न 09ः00 बजे से अपराह्न 06ः00 बजे तक कार्यरत रहेगा। इसके अतिरिक्त अनुमण्डल, प्रखण्ड एवं पंचायत स्तर पर पदस्थापित सभी स्तर के पदाधिकारियों एवं कर्मियों को किसानों के सम्पर्क में रहकर उनके खेतों में लगने वाले कीट का ससमय नियंत्रण का उपाय करने के लिये निदेष दिया गया है। 

BPH (भूरा फुदका कीट/मधुआ कीट) के नियंत्रण हेतु नियंत्रण कक्ष मेें प्रतिनियुक्त पदाधिकारियों का सम्पर्क नम्बर:-

क्र॰ नाम एवं पदनाम मोबाईल नम्बर

1 श्री अनिल कुमार, सहायक निदेशक पौधा संरक्षण, गया 9430084271

2 डॉ राजीव सिंह, वरीय बैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र मानपुर 9431204379

3 श्री सुदामा सिंह, जिला प्रामर्शी, गया 7004992467

 

रोकथाम नियंत्रण - प्रभावित धान फसल के चारो तरफ हरा भाग इस कीट का संभावित क्षेत्र होता है। अतः प्रभावित धान फसल के चारो तरफ सात कदम (डेग) बढ़कर गोलाई में धान के पौधों पर इमिडाक्लोप्रिड 40%WG एवं इथिप्रोल 40% WP का मिश्रण 40 gram / acre की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। इमिडाक्लोप्रिड 40%WGएवं इथिप्रोल 40%WP का मिश्रण विभिन्न ट्रेड नामों से उपलब्ध है। अन्य अनुषंसित कीटनाषक-

एसिटामेप्रिड 20 प्रतिषत एस पी 0.25 ग्राम  अथवा बूप्रोफेजिन 25 प्रतिषत एस सी 1.5 मिलीलीटर अथवा कार्बोसल्फान 25 ई सी 1.5 मिलीलीटर अथवा इथोफेनोप्राक्स 10ः ई सी 1 मिलीलीटर अथवा

फिप्रोनिल 0.5 एस सी 2 मिलीलीटर अथवा थायामेथाक्साम  25 प्रतिषत डब्लू जी 1 ग्राम 

अथवा एसिफेट 50 प्रतिषत $ इमिडाक्लोप्रिड 1.8 प्रतिषत एस पी 2 ग्राम अथवा

फिप्रोनिल 0.4 प्रतिषत $ थायमेथाक्साम 4 प्रतिषत एस सी 2 मिलीलीटर  इनमे से कोई भी कीटनाशी दवा का तत्काल प्रयोग कर सकते हैं।