संत रामपाल जी की महाराज के सानिध्य में हुआ विशाल सत्संग समारोह

संत रामपाल जी की महाराज के सानिध्य में हुआ विशाल सत्संग समारोह


*करैरा/ग्राम वासगढ़ मे संत रामपाल जी महाराज जी ने LCD प्रोजेक्टर के माध्यम से बताया
सत्ययुग उस समय को कहते हैं जिस युग में अधर्म नहीं होता। शांति होती है। पिता से पहले पुत्र की मृत्यु नहीं होती, स्त्री विधवा नहीं होती । रोग रहित शरीर होता है। सर्व मानव भक्ति करते हैं। परमात्मा से डरने वाले होते हैं क्योंकि वे आध्यात्मिक ज्ञान के सर्व कर्मों से परिचित होते हैं। मन, कर्म, वचन से किसी को पीड़ा नहीं देते तथा दुराचारी नहीं होते। जति सति, स्त्री पुरूष होते हैं। वक्षों की अधिकता होती हैं। सर्व मनुष्य वेदों के आधार से भक्ति करते हैं। वर्तमान में कलयुग है। इसमें अधर्म बढ़ चुका है। कलयुग में मानव की भक्ति के प्रति आस्था कम हो जाती है या तो भक्ति करते ही नहीं यदि करते हैं तो शास्त्र विधि त्याग कर मनमानी भक्ति करते हैं। जो श्रीमद् भगवत गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में वर्जित है। जिस कारण से परमात्मा से जो लाभ वांछित होता है वह प्राप्त नहीं होता। इसलिए अधिकतर मनुष्य नास्तिक हो जाते हैं। धनी बनने के लिए रिश्वत, चोरी, डाके डालने को माध्यम बनाते हैं। परन्तु यह विधि धन लाभ की न होने के कारण परमात्मा के दोषी हो जाते हैं तथा प्राकतिक कष्टों को झेलते हैं। परमेश्वर के विधान को मानव भूल जाता है कि किस्मत से अधिक प्राप्त नहीं हो सकता। यदि अन्य अवैध विधि से धन प्राप्त कर लिया तो वह रहेगा नहीं। जैसे एक व्यक्ति अपने पुत्र को सुखी देखने के लिए अवैध विधि से धन प्राप्ति करता था। कुछ दिनों पश्चात् उस के पुत्र के दोनों गुर्दे खराब हो गए। जैसे तैसे करके गुर्दे बदलवाए, तीन लाख रूपये खर्च हुआ। जो धन अवैध विधि से जोड़ा था वह सर्व खर्च हो गया तथा कुछ रूपये कर्जा भी हो गया। फिर लड़के का विवाह किया । छः महीने के पश्चात् बस दुर्घटना में इकलौता पुत्र मृत्यु को प्राप्त हुआ। अब न तो पुत्र रहा और न ही अवैध विधि से अर्जित किया गया धन शेष क्या रहा? अवैध विधि से धन संग्रह करने में किए हुए पाप, जो अभी शेष हैं, उनको भोगने के लिए जिस-२ से पैसे ऐंठे थे, उनका पशु (गधा, बैल, गाय ) बनकर पूरे करेगा। परन्तु परम अक्षर ब्रह्म की शास्त्रानुकूल साधना करने वाले भक्त की किस्मत को परमेश्वर बदल देता है। क्योंकि परमेश्वर के गुणों में लिखा है कि परमात्मा निर्धन को धनवान बना देता है। सत्ययुग में कोई भी प्राणी मांस-तम्बाखु, मदिरा सेवन नहीं करता। क्योंकि वे इनसे होने वाले पापों से परिचित होते हैं। सत्संग सम्पन हुआ