गया में नीरा बिक्री केंद्रों का शुभारंभ

 

गया में नीरा बिक्री केंद्रों का शुभारंभ
रिपोर्टः डीकेपंडित गयाबिहार
जिला परियोजना प्रबंधक श्री आचार्य मम्मट के द्वारा बोधगया के दोमुहान एवं सिकरिया मोड़ पर स्थाई नीरा बिक्री केंद्र का शुभारंभ कराया गया। साथ ही जय प्रकाश नारायण सदर अस्पताल के समीप गतिशील नीरा बिक्री स्टॉल का शुभारंभ भी कराया गया। मौके पर मौजूद स्थानीय लोगों को नीरा के लाभ के विषय में जानकारी दी गई। उपस्थित लोगों ने स्वास्थ्यवर्धक प्राकृतिक पेय नीरा का स्वाद ले इसकी तारीफ की। जिला परियोजना प्रबंधक ने कहा नीरा स्वास्थ्य के लिए एक उत्तम पेय पदार्थ है। इससे कई प्रकार के पोषण मिलता है। गर्मियों के मौसम में यह शरीर को तरलता की कमी से बचता है। गरमी से रहत प्रदान करता है। बिहार में इसे प्रोत्साहित करने की जरुरत है। राज्य एवं जिला प्रशासन के दिशा निर्देशन में जीविका इस बिहार के सभी जिलों में जीविका इस दिशा में कार्य कर रही। जिले में लोगों को स्वास्थ्यवर्द्धक पेय 'नीरा' उपलब्ध करने के उद्देश्य से नीरा बिक्री केंद्रों का शुभारंभ किया जा रहा है।   

नीरा एक प्रकृतिक पेय पदार्थ है जो ताड़ एवं खज़ूर के पेड़ से एक विशेष प्रक्रिया से रिसाव (टैपिंग) द्वारा प्राप्त किया जाता है। इसे चुने के लेप लगे मिट्टी के बर्तन जिसे लवणी कहते हैं में इकट्ठा किया जाता है। एकर्तित नीरा को शीत भंडारण द्वारा खमीरीकरण से बचाया जाता है। जिले में लोगों को स्वास्थ्यवर्द्धक पेय 'नीरा' उपलब्ध करने के उद्देश्य से नीरा बिक्री केंद्रों का शुभारंभ किया जा रहा है। वर्त्तमान  मौसम में 18 बिक्री नीरा केंद्रों को खोला गया है। 

सूरज जीविका नीरा उत्पादक समूह, मानपुर से जुड़े पूना चौधरी ने बताया कि नीरा पेड़ से प्राप्त शुद्ध एवं मीठा रस है। शाम को पेड़ पर चुने के लेप लगे लवणी लगा प्रातः सूर्योदय से पूर्व इसे उतार लेते हैं। इसे ठंडा रखते हुए बिक्री केंद्र तक पहुंचाया जाता है। भुनेश्वर चौधरी ने भी नीरा इकट्ठा करने की प्रक्रिया की जानकारी दी।     

प्रबंधक जीविकोपार्जन-कृषि कौटिल्य ने बताया कि नीरा के विषय में आम लोगों को सही जानकारी नहीं है। बहुत से लोग इसे ताड़ी ही समझते है जबकि नीरा ताड़ी नहीं है। ताड़ी अल्कोहलिक होती है जबकि नीरा नॉनअल्कोहलिक पेय है। नीरा पीने से कोई नशा नहीं होता बल्कि शरीर को अच्छा पोषण प्राप्त होता है। कोल्ड स्टोरेज चेन मेंटेन रखने से नीरा का शुद्ध रूप बरकरार रहता है। यह बहुत ही गुणकारी है। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स होने के कारण यह मधुमेह रोगियों के लिए भी उपयुक्त पेय है। सीधे अर्थों में कहे तो इसे पीने के अनेक लाभ है। दक्षिणभारत में तो यह एक लोकप्रिय नेचुरल ड्रिंक है। वहाँ लोग इसे खूब पसंद करते हैं। बिहार में इसे प्रचारित करने की जरूरत है। बहुत से  लोग इसे अभी भी ताड़ी ही समझ रहे हैं जबकि ताड़ी नीरा के खमीरीकृत होने से बनता है जो सामान्यतः धूप एवं गर्मी लगने से अल्कोहलिक हो जाता है।

गया ही नहीं पुरे बिहार में ताड़ और खजूर के पेड़ों की अच्छी संख्या है। नीरा उत्पादन एवं बिक्री द्वारा पूर्व में ताड़ी उत्पादन में लगे लोगों को नीरा उत्पादन एवं बिक्री के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसमें जीविकोपार्जनकी अच्छी संभावना है। राज्य सरकार का प्रयास है कि बिहार में प्रकृतिक संसाधन ताड़ एवं खजूर के पेड़ से जीविकोपार्जन प्राप्त करने वाले परिवारों को बिना किसी क्षति के लाभ ला एक अवसर मिले साथ ही लोगों को प्रकृतिक पेय पदार्थ भी उपलब्ध हो सके। 
उम्मीद है सभी प्रयसों से अच्छे परिणाम मिलेंगे।

उपरोक्त उद्धघाटन में सभी स्थानों पर जिला परियोजना प्रबधक एवं प्रबंधक जीविकोपार्जन-कृषि के अतिरिक्त जिला से कार्यालय से प्रबंधक दिनेश कुमार एवं कंसल्टैंट सुदीप्तो सासमल उपस्थित हुए। अलग-अलग जगह जीविका दीदियाँ, प्रखंड कार्यालय से प्रखंड परियोजना प्रबंधक शुभराज, भास्कर कुमार, रश्मि कुमारी, जीवीओपार्जन विशेषज्ञ सुनील कुमार, दिवार कुमार एवं परियोजना कर्मी सुधा, ज्ञानेंद्र राकेश एवं अन्य उपस्थित थे।