किसी भी राष्ट्र की आत्मा होती है राष्ट्रभाषा : प्रो. एन्. जी. देवकी*


 *किसी भी राष्ट्र की आत्मा होती है राष्ट्रभाषा : प्रो. एन्. जी. देवकी* 

रिपोर्टः डीकेपंडित गयाबिहार

दक्षिण भारत में, विशेषकर केरल में, हिन्दी की  प्रगति की दशा और दिशा काफ़ी संतोषजनक है। स्वाधीनता आंदोलन से प्रेरित आदर्शों पर चलकर खादी और हिन्दी का प्रेम दक्षिण भारत मे भी परवान चढ़ा। केरल विश्वविद्यालय से आरम्भ होकर आज छह विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा तक मे हिन्दी का अध्ययन-अध्यापन हो रहा है। दक्षिण भारत मे हिन्दी मे शोध-कार्य की प्रगति भी उल्लेखनीय है। वस्तुतः राष्ट्रभाषा राष्ट्र की आत्मा है और उसका विरोध सिर्फ़ राजनीतिक स्वार्थों के लिए होता है।
उपर्युक्त बातें एमयू के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित 'दक्षिण भारत मे हिन्दी की दशा और दिशा (केरल राज्य के विशेष सन्दर्भ में)' विषयक अतिरिक्त व्याख्यान में प्रो. एन् जी. देवकी ने कहीं। वे कोच्चि के विज्ञान एवं तकनीक कोचीन विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की पूर्व आचार्य और अध्यक्ष हैं और वर्तमान में देशीय हिन्दी अकादमी, तिरुअनंतपुरम की वर्तमान अध्यक्ष हैं। इसके अतिरिक्त वे दक्षिण भारत मे सक्रिय प्रमुख हिन्दी रचनाकारों में शामिल हैं। 

हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. भरत सिंह, वरिष्ठ आचार्य प्रो. सुनील कुमार, डॉ. राकेश कुमार रंजन, डॉ. परम प्रकाश राय, डॉ. अम्बे कुमारी, डॉ. अनुज कुमार तरुण, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रभारी प्रो. पीयूष कमल सिन्हा, वरिष्ठ पत्रकार डॉ. अमरनाथ पाठक की उपस्थिति महत्त्वपूर्ण रही। इसके अतिरिक्त रीता, नीतीश, उत्पल, राहुल, रवि रंजन, दिव्या, अंजलि, अनुभा, पूजा, शम्भू, परवेज़, मुन्ना, इंद्रजीत, रोहित, धर्मेंद्र जैसे विभिन्न शोधार्थियों, विद्यार्थियों और कर्मचारियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को सफल बनाया।

कार्यक्रम के अध्यक्ष मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. विनय कुमार ने दक्षिण भारत प्रचार सभा की गवर्निंग बॉडी में अपने शामिल होने के और केरल के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने बताया कि साहित्य के अतिरिक्त फिल्मों, नाटकों, मलयाली अभिनेताओं का भी हिन्दी के प्रसार में महत्त्वपूर्ण योगदान है। 

स्वागत वक्तव्य देते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. भरत सिंह ने केरल की महत्त्वपूर्ण संस्थाओं, पत्रिकाओं और प्रो. देवकी के योगदान पर चर्चा की। डॉ. राकेश कुमार रंजन ने पुष्पगुच्छ देकर और डॉ. अनुज कुमार तरुण ने अंगवस्त्र प्रदान कर मुख्य अतिथि का अभिनन्दन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. परम प्रकाश राय ने किया। दिव्या और अंजलि ने क्रमशः सरस्वती वंदना और स्वागत गीत की सुंदर प्रस्तुति दी। डॉ. अम्बे कुमारी ने प्रो. देवकी को अपना काव्य-संग्रह भेंट किया। प्रो. सुनील कुमार ने विशिष्ट अंदाज़ में आभार-ज्ञापन किया।