आधुनिक भारत के साधारण नायकों के चित्रकार हैं- प्रेमचंद*

*आधुनिक भारत के साधारण नायकों के चित्रकार हैं- प्रेमचंद*
रिपोर्टः डीकेपंडित गयाबिहार 
गया। मगध विश्विद्यालय, बोधगया अन्तर्गत स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के सभागार में एक दिवसीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। 
          साधारण में असाधारण को देख लेने की क्षमता नए नायकों का निर्माण करती है। नायकों को डरपोक नहीं होना चाहिए। बिगाड़ के डर से ईमान की बात नहीं छोड़ने वाला होना चाहिए। बड़ा नायक अपने समाज की सामूहिक चित्ति का नायक होता है। उक्त बातें प्रो. सदानंद शाही ने स्नातकोत्तर हिन्दी एवं मगही विभाग, मगध विवि द्वारा गुरुवार को आयोजित 'प्रेमचंद के नायक' विषयक एकल व्याख्यान में कहीं।
           काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष और श्री शंकराचार्य व्यावसायिक विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. सदानंद शाही जी ने कहा कि नायक और खलनायक के बीच की दूरी आज के समय मे खत्म हो चली है जो खतरनाक है। ऐसे समय मे हमें रंगभूमि' उपन्यास के नायक सूरदास की आवश्यकता है जो प्रेमचंद के समय के नए बनते हुए भारत का नायक है। वह अपने ऊपर खतरा उठाकर भी अन्याय का प्रतिकार और वंचितों के पक्ष में खड़ा होता है। वह मिठुआ का जवाब देते हुए कहता है कि सौ लाख बार घर जलाने पर भी हम सौ लाख बार घर बनाएंगे। यह जिजीविषा नए भारत के निर्माण के लिए अपरिहार्य है। 'ईदगाह' के हामिद, 'पंच परमेश्वर' के अलगू चौधरी, 'आगा-पीछा' की श्रद्धा, 'रंगभूमि' के सूरदास, 'गोदान' के मातादीन जैसे कई पात्रों के माध्यम से उन्होंने विस्तार से प्रेमचंद के साधारण किंतु असाधारण नायकों का प्रभावी व्याख्यान किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. भरत सिंह ने कहा कि मुख्य वक्ता ने किसी ख़ास विचारधारा को आरोपित करने की बजाय प्रेमचंद को देखने के नए नज़रिए को मौलिक ढंग से प्रस्तुत किया।
      बीज वक्तव्य देते हुए हिन्दी विभाग के वरिष्ठ आचार्य प्रो. सुनील कुमार ने प्रेमचंद की रचनाओं में गांधीवाद के अलावा जो विद्रोही चेतना मिलती है उसके प्रभाव को प्रो. शाही जी से व्याख्यायित करने का आग्रह किया।
     कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. परम प्रकाश राय ने किया। डॉ. राकेश कुमार रंजन ने विस्तार से प्रो. शाही जी का परिचय देते हुए स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। डॉ. अम्बे कुमारी ने प्रेमचंद पर काव्य-पाठ किया। दिव्या और अंजलि ने सरस्वती-वंदना और स्वागत गीत की प्रस्तुति दी। डॉ. अनुज कुमार तरुण ने आभार ज्ञापन किया। मगही विभागाध्यक्ष एवं अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. ब्रजेश कुमार राय, डॉ. इंद्रदेव प्रसाद यादव, डॉ. आलोक रंजन आदि की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम को सफल बनाया। इसके अतिरिक्त शोधार्थी कुणाल, मानसी, धर्मेंद्र, प्रवेश स्नातकोत्तर हिन्दी विद्यार्थी नीतीश, उत्पल, दिव्या, अंजलि, सर्वेश, आकाश, पत्रकारिता विभाग के शिवानी, आशीष, कर्मचारी परवेज़, मुन्ना, इंद्रजीत, धर्मेंद्र, रोहित आदि की उपस्थिति भी सराहनीय रही।