ईडी निदेशक के कार्यकाल विस्तार मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भी सरकार नहीं संभली *

* ईडी निदेशक के कार्यकाल विस्तार मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भी सरकार नहीं संभली *
रिपोर्टः डीकेपंडित।
       गयाबिहार।  सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख संजय कुमार मिश्रा को दिए गए तीसरे विस्तार को अवैध ठहराते हुए शीर्ष अदालत ने उन्हें लंबित कार्य निपटाने के लिय 31 जुलाई 2023 तक का समय दिया था, परंतु इस मामले में सरकार की याचिका एवम् आग्रह तथा वित्तीय   करवाई कार्य बाल की चल रहे समीक्षा आदि की दलीलें रखने पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने तीसरा विस्तार नहीं देते हुए केवल 15 सितंबर यानी डेढ़ माह के लिए ईडी निदेशक को इस पद पर बने रहने की अनुमति दी है।
     बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि सह क्षेत्रीय प्रवक्ता प्रो विजय कुमार मिठू, पूर्व विधायक मो खान अली, जिला उपाध्यक्ष बाबूलाल प्रसाद सिंह, राम प्रमोद सिंह, दामोदर गोस्वामी, विपिन बिहारी सिन्हा, कुंदन कुमार, टिंकू गिरी, प्रद्युमन दुबे, अभिषेक श्रीवास्तव, अमित कुमार उर्फ रिंकू सिंह, शिव कुमार चौरसिया, श्रवण पासवान, उदय शंकर पालित, मो समद, खालिद अमीन, सुरेंद्र मांझी , विनोद उपाध्याय, सुजीत कुमार गुप्ता, राजेश अग्रवाल, आदि ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा डेढ़ महीने   की सेवा विस्तार करते हुए साफ कहा की इस मामले में आगे कोई मोहलत नहीं दी जाएगी, तथा सरकार से इस मामले में इसके पहले यह भी कहा था की क्या पूरा प्रवर्तन निदेशालय अक्षम लोगो से भरा है ।
    नेताओ ने कहा की आखिर सरकार जब दो, दो बार ईडी के निदेशक की सेवा विस्तार कर चुकी थी, तथा तीसरी सेवा विस्तार अवैध है, तो सरकार तीसरे सेवा विस्तार के लिए क्यों व्याकुल है, इससे प्रमाणित होता है की मोदी सरकार अपने विपक्षियों पर ईडी की बनावटी कारवाई तथा तंग, तबाह करने के  लिए डेढ़ माह लिए।
    नेताओ ने कहा इसका ताजा उदाहरण हाल की में एन सी पी नेता अजीत पवार, छगन भुजबल आदि के बारे में प्रधानमंत्री जी का दिया गया बयान जग जाहिर है, किंतु उन्हें भाजपा वाशिंग पाउडर से धोकर महाराष्ट्र की भाजपा गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री,  तथा मंत्री बना दिया गया।
     नेताओ ने कहा देश की जनमानस के बीच यह आम चर्चा बनी हुई है की  ईडी निदेशक,सन 2018 यानी विगत पांच वर्षो के कार्यकाल में जितने लोगो को पकड़ा, उससे ज्यादा लोग भाजपा में शामिल हुए , जिसका जीता, जागता उदाहरण महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्री का बनना है।