विश्व स्तनपान स्प्ताह: इनऐबल ब्रेस्टफीडिंग- मेंकिंग ए डिफ्रेंनस फॉर वर्किंग वीमेन है थीम
आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं को स्तनपान के प्रति किया जा जागरूक
रिपोर्टः डीकेपंडित गया बिहार
गया, 0 7 अगस्त: जिला में एक अगस्त से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है. इस वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह का थीम ‘इनऐबल ब्रेस्टफीडिंग- मेंकिंग ए डिफ्रेंनस फॉर वर्किंग वीमेन’ है. इस थीम का उद्देश्य कामकाजी महिलाओं को मेंटरनलिटी अवकाश के बाद कार्यालय आने के दौरान उनके कार्यस्थल पर ब्रेस्टफीडिंग की व्यवस्था की सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर एक सकारात्मक माहौल तैयार कराना है. थीम यह प्रदर्शित करता है कि स्तनपान का संबंध केवल एक मां और बच्चे से ही नहीं है, बल्कि इसका संबंध एक बेहतर अर्थव्यवस्था तैयार करने से भी है. स्तनपान से बच्चों की बीमारी पर होने वाले खर्च में कमी आती है.
विश्व स्तनपान सप्ताह के समेकित बाल विकास परियोजना विभाग द्वारा जिला के विभिन्न प्रखंडों में आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं तथा उनके परिजनों के साथ बैठक कर स्तनपान के महत्व की जानकारी दी जा रही है. उन्हें बताया जा रहा है कि शिशु के लिए स्तनपान महत्वपूर्ण है. इसके साथ ही विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों से जागरूकता रैली भी निकाली जा रही है.
प्रसव के एक घंटे के भीतर शिशु को स्तनपान कराने पर विशेष बल:
आइसीडीएस डीपीओ भारती प्रियम्बदा ने बताया कि विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान स्तनपान के महत्व को लेकर आंगनबाड़ी सेविका गर्भवती महिलाओं को जागरूक कर रही हैं. उन्हें यह बताया जा रहा है. कि एक घन्टे के अंदर स्तनपान एवं 6 माह तक केवल स्तनपान कराने से शिशु की रोग प्रतोरोधक क्षमता का विकास होता है. साथ ही स्तनपान करने वाले बच्चे डायरिया, अस्थमा, मोटापा एवं अन्य संक्रमण से बचे रहते हैं.
स्तनपान कराने से बीमारी, तनाव और अवसाद का जोखिम कम
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार स्तनपान कराने से शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के साथ साथ महिलाओं की दिमागी तंदुरुस्ती बढ़ती है और कई दूसरी प्रकार की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है. स्तनपान कराने से टाइप 2डायबिटीज, दिल की बीमारी और अल्जाइमर का जोखिम कम होता है. बच्चे के साथ भावनात्मक संबंध मजबूत होने के अलावा प्रसव के बाद उपजने वाले तनाव और अवसाद में खतरा कम होता है.