नई राष्ट्रीय शिक्षा से तात्पर्य है आत्मनिर्भर भारत का निर्माण : मगध विश्वविद्यालय कुलपति

नई राष्ट्रीय शिक्षा से तात्पर्य है आत्मनिर्भर भारत का निर्माण : मगध विश्वविद्यालय कुलपति 
डीकेपंडित गयाबिहार
गया।मगध विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई एस एन सिन्हा कॉलेज में  " भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारत बोध" विषयक दो दि.वसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ शशि प्रताप शाही ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत बोध की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। दरअसल नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य आत्मनिर्भर  भारत  का निर्माण करना है। इसी को ध्यान में रखते हुए महामहिम कुलाधिपति द्वारा चार वर्षीय सी बी सी लागू करने का निर्णय किया गया और हमें पूरी तन्मयता के साथ इसे सफल बनाना है। 
एस एन सिन्हा कॉलेज एवं संस्कार भारती द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ शाही ने  इस आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम अन्य विभागों के द्वारा भी आयोजित किए जाने चाहिए । उन्होंने हर माह ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन पर बल  देते हुए कहा कि ऐसी कार्यक्रम महाविद्यालय को जीवंत बनाए हैं। कुलपति ने विश्वविद्यालय में अपने द्वारा किया गए सुधारों की चर्चा भी की और महाविद्यालय के प्राचार्य को सत्येंद्र बाबू की आदम कद मूर्ति लगाने का निर्देश दिया।
प्राचार्य डा अरुण कुमार रजक ने अपने स्वागत संभाषण में आगत अतिथियों का स्वागत किया तथा आयोजन की प्रासंगिकता पर बल दिया। 
संगोष्ठी के मुख्य विषय " भारतीय स्वंत्रता संग्राम में भारत बोध " पर प्रकाश डालते हुए संगोष्ठी के आयोजन सचिव अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष डॉ सुबोध कुमार झा ने कहा कि  भारत बोध  आज की अनिवार्यता है। हमें अपनी भारतीयता का अहसास भी होना चाहिए और उसपर गर्व भी।
उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए संस्कार भारती के अध्यक्ष पद्मश्री श्याम शर्मा ने स्वतंत्रता संग्राम में लोक कलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला। कला और साहित्य ही हमें वास्तविक भारत बोध कराते है, पद्मश्री श्याम  शर्मा ने कहा। 
इस उद्घाटन सत्र में भारतीय भाषा समिति के प्रो डॉ ए के मिश्र , सिन्हा कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ अर्जुन शर्मा और एस एस कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुधीर कुमार मिश्र ने भी संबोधित किया। 
उद्घाटन सत्र में महाविद्यालय के पूर्व छात्र  एवं कर्मी रहे डॉ बीरेंद्र कुमार सिंह ने सत्येंद्र बाबू की प्रतिमा का खर्च वहन करने की घोषणा की।
उद्घाटन सत्र के पश्चात के सत्र में प्रमुख वक्ताओं ने सारगर्भित संभाषण दिया। ये वक्ता थे वरिष्ट साहित्यकार श्री  शिवदयाल, बी एस इ बी के पूर्व सचिव डा बिनोदानंद झा , प्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ ज्ञानदेव मणि त्रिपाठी एवं डा पुष्पम नारायण। तकनीकी सत्रों में आज लगभग 20 शोधपत्रों का वाचन किया गया।