वर्मी कंपोस्टिंग: बनाने की विधियां एवं उपयोगिता' पर एक दिवसीय कार्यशाला

वर्मी कंपोस्टिंग: बनाने की विधियां एवं उपयोगिता' पर एक दिवसीय कार्यशाला
रिपोर्टः डीकेपंडित गयाबिहार
गया।मगध विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर भूगोल विभाग के द्वितीय सेमेस्टर की विद्यार्थियों का 'क्षमता संवर्धन पाठ्यक्रम' के अंतर्गत 'वर्मी कंपोस्टिंग: बनाने की विधियां एवं उपयोगिता' पर एक दिवसीय कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम 'नंदिनी डायरी एवं पौधशाला' मटिहानी, बोधगया केंद्र पर आयोजित किया गया । 
कार्यक्रम की शुरुआत नंदिनी डायरी बोधगया में पहुंचने पर संस्था के निदेशक संतोष कुमार ने विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को स्वागत किया तथा इस पर विस्तृत व्याख्यान देते हुए वर्मी कंपोस्टिंग बनाने की विधियो एवं इसके उपयोगिता को अच्छे ढंग से समझाएं ।
निदेशक श्री संतोष कुमार ने बताया की वर्मी कंपोस्टिंग में उल्लेखनीय योगदान देने के कारण हमारे संस्था को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पूसा, मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय कृषि मंत्री से सम्मान मिल चुका है । वर्मी कंपोस्टिंग को तैयार करने से पहले चार-पांच फीट ऊंचा ईटा से पीठ बनाते हैं तथा उसमें गोबर डालने के बाद केंचुआ डालकर कुछ दिन छोड़ देते हैं । यह केंचुआ 15 दिनों तक तो सक्रिय नहीं रहता है परंतु उसके बाद यह सक्रिय होकर बहुत तेजी से वृद्धि करने लगता है और डेढ़ दो महीने में खाद बनाकर तैयार हो जाता है जिसकी आपूर्ति न सिर्फ राज्य में बल्कि राज्य के बाहर भी किया जाता है । विद्यार्थियों ने इस प्रक्रिया को प्रयोग करके प्रयोगशाला में भी देखा और अपने जिज्ञासा अनुरूप बहुत से सवाल जवाब भी किया । यह कार्यशाला स्नातकोत्तर भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वीरेंद्र कुमार के मार्गदर्शन में पाठ्यक्रम समन्वयक शिक्षक डॉ० पिंटू कुमार एवं डॉ० मीनाक्षी प्रसाद के साथ डॉ० मौसमी और राकेश कुमार उपस्थित थे । इस कार्यशाला में 70 विद्यार्थियों ने भाग लिया।