मगधविश्वविद्यालय बोधगया के स्नातकोत्तर वाणिज्य विभाग में शुक्रवार को नई शिक्षा नीति पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन

मगधविश्वविद्यालय बोधगया के स्नातकोत्तर वाणिज्य विभाग में शुक्रवार को नई शिक्षा नीति पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन
रिपोर्टः डीकेपंडित 
गया।.आईक़्यूएसी, मगध विश्वविद्यालय के तत्वावधान से विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर वाणिज्य विभाग में शुक्रवार को नई शिक्षा नीति पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सह-संयोजक डॉ.. धरेन कुमार पाण्डेय ने सरस्वती वंदना से की, जिसके बाद सहायक प्राध्यापक डॉ. विनीता कुमारी की सुर में कुलगीत प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात संयोजक एवं संकायाध्यक्ष, वाणिज्य संकाय प्रो. अनवर खुर्शीद खान ने मुख्य वक्ता सेवानिवृत प्रो. एसएनएल दास, स्नातकोत्तर वाणिज्य विभाग, रांची विश्वविद्यालय को पुष्पगुच्छ, चीवर एवं स्मृतिचिन्ह देकर सम्मानित किया। आयोजन सचिव डॉ. विनीता कुमारी ने अपने स्वागत भाषण में नई शिक्षा नीति के विषय पर प्रकाश डाला। तत्पश्चात प्रो. खान ने सेमिनार का विषयगत परिचय कराते हुए कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। इस कार्यक्रम में वाणिज्य संकाय के पूर्व-संकायाध्यक्ष, सेवानिवृत प्रो. विनय कुमार सिंह भी उपस्थित हुए जिनका प्रो. खान ने पुष्पमाला, चीवर एवं स्मृतिचिन्ह भेंट कर स्वागत किया। अपने मुख्य भाषण में प्रो. दास ने कहा कि लॉर्ड मैकाले ने रानी विक्टोरिया को भेजे गए रिपोर्ट में लिखा था कि मैंने यहाँ ऐसी शिक्षा पद्धति शुरू कर दी है जिससे ये भारतीय दिल, दिमाग, और सोच से ब्रिटिश हो जायेंगे। उन्होंने आगे कहा कि मैकाले का मूल उद्देश्य भारतीयों को उनके अपने इतिहास को भुला कर ब्लैक ब्रिटिश बनाना था। नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा हमें हमारे खोये मूल्यों को समझने में काफी सहयोग करेगा। इससे न केवल सैद्धांतिक बल्कि व्यावहारिक शिक्षा ग्रहण कर नवभारत के युवा खुद के कौशल विकास कर आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अपना योगदान देंगे। नई शिक्षा नीति के तहत जीडीपी का छह प्रतिशत शिक्षा पर आवंटित होगा। उन्होंने बैंक ऑफ़ क्रेडिट एवं एक राष्ट्र एक पाठ्यक्रम की भी चर्चा की। हालांकि शिक्षा के समवर्ती सूची में होने की वजह से राज्य सरकारों को इसे लागू करने में परेशानी हो रही है। जहाँ यूजिसी, एसिटीई, एआईसिटीई जैसी संस्थाओं का विलय होना है वहीं नैक मूल्यांकण पर विशेष जोर दिया जायेगा। साथ ही मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने से ना केवल बौद्धिक बल्कि भारतीय मूल्यों का भी ज्ञान बढेगा।
मुख्य भाषण के बाद डॉ. धरेन कुमार पाण्डेय की अध्यक्षता में तकनीकी सत्र शुरू हुआ। भाग लेने वाले शोधार्थियों ने कई पेपर प्रस्तुत किए जिससे नई शिक्षा नीति के विभिन्न दृष्टिकोणों पर अंतर्दृष्टि प्रदान हुई। आयोजन सचिव डॉ. श्वेता गोयल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय गान के साथ हुआ। इस मौके पर प्रो. दिलिप कुमार केशरी, विभागाध्यक्ष, जन्तु विज्ञान विभाग, प्रो. संजय कुमार, विभागाध्यक्ष, पाली विभाग, प्रो. एसआर रस्तोगी, पूर्व-संकायाध्यक्ष, वाणिज्य संकाय, एवं डॉ. बिनोद प्रसाद, सेवानिवृत सह-प्राध्यापक, वाणिज्य विभाग, गया कॉलेज, गया भी उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में विभाग के छात्र-छात्राओं, शोधार्थियों, एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।