अक्टूबर से अब हिन्दी मे ही होगा मगधविश्वविधालय का प्रत्येक कार्यः कुलपति

अक्टूबर से अब हिन्दी मे ही होगा मगधविश्वविधालय का प्रत्येक कार्यः कुलपति
रिपोर्टः डीकेपंडित 
गया। मगधविश्वविधालय बोधगया  के राधाकृष्णन सभागार में गुरुवार को हिन्दी दिवस के अवसर पर स्नातकोत्तर हिंदी विभाग द्वारा एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कुलपति शशि प्रताप शाही ने घोषणा किया कि 1 अक्टूबर से मगध विश्वविद्यालय का हर कार्य हिन्दी में होगा। कार्यक्रम का विषय था -"21वीं सदी की हिंदी- चुनौतियां एवं संभावनाएं"। कार्यक्रम का संचालन स्नातकोत्तर गृह विज्ञान विभाग के डॉ. दीपशिखा पांडे एवं हिन्दी विभाग के डॉ. परम प्रकाश राय ने किया। अध्यक्षता कुलपति प्रो. शशि प्रताप शाही  ने की। 
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ कायनात काजी थीं, जो संस्कृति एवं कला केंद्र, पेट्रोलियम एवं ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय, देहरादून की अध्यक्ष हैं। विशिष्ट अतिथि श्रीमती तनु प्रियंका प्रसिद्ध गायिका, हिंदी एवं भोजपुरी फिल्म उद्योग से उपस्थित हुई। मानविकी विभाग के अध्यक्ष डॉ• विनय कुमार ने स्वागत वक्तव्य देते हुए उद्धृत किया - हिंदी हैं हम वतन हैं हिंदुस्तान हमारा। हिंदी विभाग के आचार्य प्रो सुनील कुमार ने कहा कि हिंदी भाषा को विश्व अपना रहा है पर भारत में ही हिंदी भाषा को व्यवहार में लोग संकोच करते हैं। उन्होंने कुलपति से मांग की कि विश्वविद्यालय का सारा कार्य हिंदी में हो।
एसएस कॉलेज के हिंदी विभाग से आये प्रो अरुण कुमार ने हिंदी की तारीफ करते हुए कहा कि हिंदी विशिष्ट है, हिंदी पूजनीय है। प्राचीन काल के शब्द आज भी विद्यमान हैं, जो हिंदी के साहित्य में देखे जा सकते हैं। अरुण जी ने कहा कि हिंदी भाषा गंगा के प्रवाह की तरह है जिसे कभी रोका नहीं जा सकता। उर्दू विभाग के आचार्य प्रो. शाहिद रिज़वी ने हिन्दी-उर्दू की सामासिक संस्कृति को रेखांकित करते हुए हिन्दी-दिवस में मोहब्बत के सन्देश की बात की।
विशिष्ट अतिथि तनु प्रियंका ने कहा कि हिन्दी दिवस पर हमने ठाना है, लोगों मे हिन्दी का स्वाभिमान जगाना है। इन्होंने देशभक्ति गीत के साथ हिंदी के लिए मर मिटने वालों को याद किया और शारदा सिन्हा को याद करते हुए अपने भोजपुरी गीतों से सभी  का मन मोह लिया। प्रियंका जी के गायन के अवसर पर प्रेम और उनके साथी तबला और हारमोनियम पर संगत कर रहे थे।
कुलपति शशि प्रताप शाही ने कहा कि हिंदी को जो प्रतिष्ठा मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है, इस पर मंथन करने की आवश्यकता है। हमें जापान, चीन और इजरायल से सीखने की जरूरत है, जो अपनी भाषाओं को लेकर आगे चल रहे हैं। इन्होंने बॉलीवुड को हिंदी फिल्मों और गीतों के द्वारा पूरे भारत को जोड़ने का श्रेय दिया। उन्होंने 1 अक्टूबर से मगध विश्वविद्यालय का हर कार्य हिंदी में होने की बात कही। दो दिवसीय हिन्दी दिवस आयोजित करने का सुझाव कुलपति ने दिया।

मुख्य अतिथि कायनात काजी ने कहा कि सभी युवा हिंदी से जुडें और अपना भविष्य हिंदी के साथ बनाए। हिंदी को पढ़ना एवं हर दिन लिखना युवाओं के लिए हिन्दी मे कैरियर बनाने के लिए आवश्यक है। कायनात जी ने कहा कि पूरे भारत में 28000 किलोमीटर भ्रमण कर हर तरह की संस्कृति को जाना। कार्यक्रम के दौरान उनकी पुस्तक 'परम तपस्विनी' का कुलपति ने लोकार्पण किया और कहा कि इसकी 100 प्रति विश्वविद्यालय अपने पुस्तकालय में मंगाएगा ।
कार्यक्रम में कुलपति द्वारा मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि का पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र और स्मृति-चिह्न प्रदान कर स्वागत किया गया । हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. ब्रजेश कुमार राय ने कुलपति, प्रो. सुशील कुमार सिंह एवं डॉ. कायनात के पिताजी को पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिह्न देकर उनका स्वागत किया। सभी अतिथियों का डॉ. राकेश कुमार रंजन ने हार्दिक धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर सभागार में हिन्दी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. भरत सिंह, प्रो. पीयूष कमल सिन्हा,  डॉ. अनुज कुमार तरुण, डॉ. अम्बे कुमारी, डॉ. धरेन पांडेय, डॉ. मीनाक्षी, डॉ. विनीता, डॉ. कुमार विशाल, डॉ. पिंटू कुमार सहित विश्वविद्यालय और विभिन्न संस्थानों के शिक्षक, कर्मचारी और विद्यार्थी भारी संख्या में मौजूद थे।