सनातन धर्म सबसे महान संत रामपाल जी महाराज

*सनातन धर्म सबसे महान संत रामपाल जी महाराज* 


ग्राम छीरारी मे एलसीडी प्रोजेक्टर के माध्यम से संत रामपाल जी महाराज का विशाल सत्संग हुआ जिसमे बताया गया की
सनातन धर्म महान है और यह सबसे पुराना धर्म है, जिससे अन्य धर्म की उत्पत्ति हुई है या यूं कहें सनातन धर्म सभी धर्मों की जननी है। पूर्ण मोक्ष सिर्फ आदि सनातन धर्म की साधना से प्राप्त किया जा सकता है। परन्तु वर्तमान समय में जितने भी धर्म गुरु है वे सभी सनातन धर्म के विपरीत भक्ति साधना कर व करवा रहें हैं। जिससे पवित्र गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 के अनुसार मानव को कोई लाभ नहीं हो रहा है। जबकि रामपाल जी महाराज
आदि सनातन धर्म की साधना के मंत्र "ओम् तत् सत्" है जो की गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में प्रमाणित है जिसे पूर्ण सन्त/ तत्वदर्शी संत द्वारा प्रदान किया जाता है।  सनातन धर्म में केवल एक परमेश्वर की भक्ति करते हैं अनेक देवी देवताओं की भक्ति पूजा नहीं करते l पवित्र गीता भी एक परमात्मा की भक्ति के लिए समर्थन करती है l गीता अध्याय 9 के श्लोक 25 में गीता ज्ञान दाता कहता है कि देवताओं को पूजने वाले देवताओं को,पितरों को पूजने वाले पितरों को और भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं। पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23 व 24 में कहां है कि जो पुरुष शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करते हैं उनको सुख,शांति ,सिद्धि ,परम गति कुछ भी प्राप्त नहीं होता अर्थात व्यर्थ है l पवित्र गीताजी के अध्याय 18 श्लोक 62 में उस परमात्मा के सनातन परम धाम की महिमा की गई है एवं अध्याय 15 के श्लोक 17 में तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण पोषण करने वाले उत्तम पुरुष को अविनाशी, परमेश्वर, परमात्मा बताया गया है। गीताजी अध्याय 8 श्लोक 9 में सबका धारण पोषण करने वाले सूक्ष्म से भी अति सूक्ष्म उस अनादि सच्चिदानन्दघन परमेश्वर का नाम "कबीर देव" बताया है। 
आदि सनातन धर्म के अनुसार हमें पूर्ण परमेश्वर कबीर देव की भक्ति करनी चाहिए जिससे हमारे सभी कार्य सिद्ध होंगे एवं प्राणी मोक्ष को प्राप्त होगा। श्रीमद् भागवत गीता के अध्याय 18 का शोक 66 में यही प्रमाण है कि उस परमेश्वर की शरण में जा जिससे परम मोक्ष तथा सदा ही सुख शांति को प्राप्त होगा।
जिस धर्म में पुरातन संसार की उत्पत्ति व मूल की विस्तृत जानकारी मिले, वही सनातन धर्म है। चारों वेद, गीता एवं सूक्ष्मवेद में व यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 व ऋग्वेद मण्डल 1 सूक्त 1 मंत्र 5 के अनुसार सर्व सृष्टि की रचना करने वाला आदिपुरुष कबीर परमेश्वर है। संसार की उत्पत्ति और इसके मूल की जानकारी बताई गई है। सूक्ष्मवेद में कबीर साहेब जी की वाणी है - 
कबीर, हम ही अलख अल्लाह हैं, मूल रूप करतार।
अंनत कोटि ब्रह्मांड का, मैं ही सिरजनहार।।