नए भारत के विकास के लिए अनुसंधान में वर्तमान रुझान" पर दो दिवसीय संगोष्ठी का दूसरे दिन समापन


नए भारत के विकास के लिए अनुसंधान में वर्तमान रुझान" पर दो दिवसीय संगोष्ठी का दूसरे दिन हुआ समापन 
रिपोर्टः डीकेपंडित गयाबिहार।
बिहार के मगध विश्वविद्यालय बोधगया  के सामाजिक विज्ञान संकाय द्वारा विषय "नए भारत के विकास के लिए अनुसंधान में वर्तमान रुझान" पर दो दिवसीय संगोष्ठी का दूसरे दिन समापन सत्र में मंगलवार को श्री राधा कृष्णन सभागार में किया गया। कार्यक्रम के शुरुआत में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित किया गया। तत्पश्चात विश्वविद्यालय की छात्राओं द्वारा कुलगीत प्रस्तुत किया गया। इसके बाद सभी विशिष्ट अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र, विष्णुपद स्मृति चिन्ह, पौधा, एवं पुष्पगुच्छ भेंट कर किया गया। संयोजक प्रो.आर एस जमुआर ने अपने स्वागत भाषण में सभी अतिथियों एवं सभा में उपस्थित सभी जनों का स्वागत करते हुए इस सेमिनार में सभी के सहयोग एवं सहभागिता की सराहना की। जिसके बाद तकनिकी सत्रों के टीम के समन्वयक प्रो. पियूष कमल सिन्हा ने संगोष्ठी में संचालित ऑफलाइन एवं ऑनलाइन तकनिकी सत्रों, एवं उदघाटन सत्र का रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया। आज समानांतर तीन तकनीकी सत्रों का संचालन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
      मुख्य वक्ता प्रो. आर एन सिंह, अवकाशप्राप्त प्राध्यापक, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, ने अपने बीज वक्त्तव्य में कहा कि डर से बाहर निकल कर कदम आगे बढ़ाने से ही मंजिल की प्राप्ति सम्भव है। तत्पश्चात मुख्य अतिथि जय प्रकाश नारायण छपरा विश्वविधालय के पूर्व-कुलपति प्रो. हरिकेष सिंह ने मां सरस्वती की चरणों में अपनी प्रार्थना दर्ज करते हुए अपने वक्तव्य की शुरुआत की। उन्होंने माननीय कुलपति प्रो शशि प्रताप शाही की प्रशंसा करते हुए कहा कि इनके कार्यकाल में निश्चय ही यह विश्वविद्यालय नैक मूल्यांकन में में अच्छा ग्रेड हासिल करेगा। उन्होंने संगोष्ठि के विषय की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन शोधार्थियों के हित में निरंतर चलते रहना चाहिए। उन्होंने आगे विश्वविद्यालय के कुलगीत की सराहना करते हुए अयोजन टीम को कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी में प्रस्तुत शोध पत्रों  शोध साधना का विषय रहना चाहिए, प्रतिशोध का नहीं - इन्हीं शब्दों के साथ उन्होंने अपने अभिभाषण को विराम दिया। 
तत्पश्चात स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग, समाजिक शास्त्र विभाग एवं भौतिक चिकित्सा विभाग की प्रतिभागी छात्राओं को कुलगीत एवं सरस्वती वंदना की प्रस्तुति के लिए सम्मानित किया गया। 
      सम्मान के श्रृंखला में इस संगोष्ठी में सहयोग देने वाले महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों को भी सम्मानित किया गया।
      ततपश्चात् अर्थशास्त्र विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ. कुमारी दीपा रानी की पुस्तक का विमोचन किया गया।
      मगध विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. शशि प्रताप शाही ने अपने अध्यक्षीय अभिभाषण में सभी शिक्षकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यहाँ के शिक्षक प्रतिभा के धनी हैं  एवं विश्व भर में अपनी पहचान बनाने को तत्पर हैं। यहाँ के शिक्षक, छात्र एवं शोधार्थी अब जाग चुके हैं। कुलपति महोदय ने ये भी कहा कि जब तक विश्वविद्यालय में नकारात्मकता रहेगी तब हम सर्वांगी विकास नहीं कर पाएंगे। साथ ही कहा कि इस नकारात्मकता को खत्म कर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। यहाँ प्रतिभाओं की कमी नहीं है और ये संगोष्ठी इसका एक उदाहरण है।
 सभी को आत्ममंथन करने कि आवश्यकता है और अपने कमियों से ही सीख कर और मिलजुल कर काम करने की आवश्यकता है।
       उन्होंने सभी से अनुरोध किया और कहा कि विश्वविद्यालय की स्थिति सुधारने के लिए जो भी विकास में बाधक है उसका नाम मेरे मेल पर सुझाव के माध्यम से भेजेंगे और उनका नाम गुप्त रखा जाएगा और सुझावों पर उचित कार्यवाही की जाएगी। अंत में अपने अभिभाषण में उन्होंने इस संगोष्ठी के सभी सदस्यों को एवं सभी सहभागियों एवं प्रतिभागियों को इस संगोष्ठी की सफलता के लिए बधाई दी।
         तत्पश्चात बनारस से आए कवि योगेश कुमार यश ने राणा प्रताप की वीर गाथा पर आधारित वीर रस की कविता से सभागार को ऊर्जा प्रदान किया। जिसके बाद कुलपति महोदय ने उन्हें स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। आयोजन सचिव डॉ गोपाल जी सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। संगोष्ठी में डॉ राजेश कुमार ने सफल आयोजन  में प्रबंध की महत्तवपूर्ण भूमिका निभायी। अंत में राष्ट्रगाण के बाद सत्र का समापन हुआ। मंच का संचालन डॉ. दिव्या मिश्रा, डॉ. प्रियंका सिंह, एवं आयोजन सचिव डॉ. मीनाक्षी ने किया।