हिन्दी पखवाड़ा के तहत 'शब्दाक्षर' बिहार की औरंगाबाद जिला समिति द्वारा काव्य महोत्सव का सफल आयोजन*

*हिन्दी पखवाड़ा के तहत 'शब्दाक्षर' बिहार की औरंगाबाद जिला समिति द्वारा काव्य महोत्सव का सफल आयोजन*
रिपोर्टः डीकेपंडित अन्तर्राष्ट्रीय पत्रकार 
बिहार के औरंगाबाद में राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था 'शब्दाक्षर' के बिहार प्रदेश की औरंगाबाद जिला समिति द्वारा काव्य महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता शब्दाक्षर औरंगाबाद के जिलाध्यक्ष कवि धनंजय जयपुरी तथा संचालन कवि द्वय विनय मामूली बुद्धि एवं नागेंद्र कुमार केसरी द्वारा किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन शब्दाक्षर बिहार प्रदेश अध्यक्ष सह मुख्य अतिथि मनोज मिश्र 'पद्मनाभ', शब्दाक्षर जहानाबाद जिलाध्यक्ष सावित्री 'सुमन', औरंगाबाद जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो सिद्धेश्वरच प्रसाद सिंह, उपाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र, प्रो संजीव रंजन एवं नैप्स के जिलाध्यक्ष अंबेडकर पाल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित करके किया। अतिथियों को पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र, साहित्यिक पुस्तकें एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान करके सम्मानित किया गया। तत्पश्चात, 'शब्दाक्षर' के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह द्वारा प्रेषित शुभकामना संदेश पढ़ कर सुनाया गया, जिसमें श्री सिंह ने शब्दाक्षर औरंगाबाद जिला समिति के सदस्यों को बिहार में हिंदी साहित्य के प्रचार-प्रसार हेतु सतत रूप से कार्य करने की सलाह दी। शब्दाक्षर की राष्ट्रीय प्रवक्ता-सह-प्रसारण प्रभारी प्रो. डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने बतलाया कि शब्दाक्षर द्वारा भारतवर्ष के 25 प्रदेशों में प्रदेश तथा जिला इकाइयों द्वारा हिन्दी साहित्य को समर्पित आयोजन किये जा रहे हैं। साहित्यिक आयोजनों की इसी श्रृंखला में एक खूबसूरत कड़ी के रूप में शब्दाक्षर बिहार प्रदेश की औरंगाबाद जिला इकाई द्वारा आयोजित यह कवि सम्मेलन भी है। राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ रश्मि ने शब्दाक्षर बिहार प्रदेश अध्यक्ष मनोज मिश्र के कुशल नेतृत्व की तारीफ करते हुए कहा कि यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि बिहार में भी शब्दाक्षर की सभी जिला इकाइयों द्वारा साहित्यिक आयोजन हो रहे हैं, जिनमें नये युवा कवियों को राष्ट्रीय मंच प्राप्त हो पा रहा है। डॉ रश्मि ने भी शब्दाक्षर औरंगाबाद समिति को इस आयोजन हेतु हार्दिक शुभकामनाएं दीं।
 
कवि सम्मेलन में कुमार सानू ने सरस्वती वंदना के उपरांत अपनी कविता "यूं तो मैं आबाद रहता हूं, मैं यहां जिंदाबाद रहता हूं, रहता हूं शहर-ए-दिल में मैं, मैं तो औरंगाबाद रहता हूं" द्वारा औरंगाबाद जिले के प्रति अपने भावसुमन अर्पित किये। हिमांशु चक्रपाणि की ग़ज़ल "जिसे तू आजमाना चाहता है, उसे सारा जमाना चाहता है, तुझे पाने की जिद में खड़ा हूं, जिसे पाना जमाना चाहता है" पर खूब तालियाँ बजीं। अजय वैद्य की "हे ईश्वर आप हो संपूर्ण, अमर अविनाशी माया मोह से दूर" एवं प्रवेश कुमार की बेटियों को समर्पित "लो खोलता हूं आज दिल की गांठ लाडली, बोलता हूं आज दिल की बात लाडली, क्यों याद तेरी आये नहीं" पंक्तियों की सबने सराहना की। जयप्रकाश कुमार की व्यंग्य रचना "इस शहर का एक शरीर है, जो कुछ साल पुराना है', अनुज बेचैन की "प्रेमचंद तुम्हारी याद आती है आज भी" को भी काफी प्रशंसा मिली। कवि विनय मामूली बुद्धि की व्यंग्य रचना "चीख नहीं चीत्कार सुनाई पड़ी..सिसक सिकुड़  रहा हस्तिनापुर", सावित्री सुमन की ग़ज़ल -"यहां मोहब्बत सिसक रही है, मगर उसे कुछ खबर नहीं है, जिस राह से तुम गुजर रहे हो, उस राह में तेरा घर नहीं है" पर भी खूब वाहवाहियां लगीं।कवि-सम्मेलन में रोहित कुमार, जनार्दन मिश्र जलज, अनिल अनिल, लवकुश प्रसाद सिंह, प्रभात बांधुल्य , सुरेश विद्यार्थी, शिवजी, संतोष सिंह ने भी अपनी रचनाएँ पढ़ीं। सभी कवियों को शब्दाक्षर औरंगाबाद की ओर से प्रतिभागिता प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया।

मुख्य अतिथि सहित मंचस्थ सभी विद्वानों ने कार्यक्रम को अत्यंत सराहना की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधनों में शब्दाक्षर बिहार प्रदेश अध्यक्ष श्री पद्मनाभ एवं कार्यक्रम अध्यक्ष धनंजय जयपुरी ने कवि सम्मेलन में आये रचनाकारों/ अतिथियों एवं समस्त शब्दाक्षर परिवार के प्रति आभार जताया। सम्मेलन में शिक्षक नेता अशोक पांडेय, पत्रकार राज पाठक, अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह, सिंहेश सिंह, बैजनाथ सिंह, अजय कुमार, सुरेश ठाकुर सहित सैकड़ो बुद्धिजीवियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।