राजनीति विज्ञान विभाग एवं लोक प्रशासन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में “ जी-20 नई दिल्ली सम्मेलन: भारत की वैश्विक दक्षिण-सेतु के रूप में स्थिति” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार आयोजित

राजनीति विज्ञान विभाग एवं लोक प्रशासन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में “ जी-20 नई दिल्ली सम्मेलन: भारत की वैश्विक दक्षिण-सेतु के रूप में स्थिति” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार आयोजित
रिपोर्टः डीकेपंडित गयाबिहार
आज मगध विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा विभाग के राधाकृष्णन सभागार में राजनीति विज्ञान विभाग एवं लोक प्रशासन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में “ जी-20 नई दिल्ली सम्मेलन: भारत की वैश्विक दक्षिण-सेतु के रूप में स्थिति” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार आयोजित किया गया।   सेमिनार में मंच पर आदरणीय कुलपति महोदय प्रो शशि प्रताप शाही, प्रतिकुलपति प्रो बी आर के सिन्हा, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सेड्रिक चार्ल्स करौली, मुख्य वक्ता अफ़्रीकी आर्थिक एकीकरण समिति के सदस्य अविनाश ज्ञान तथा ए एन कॉलेज के प्राध्यापक डा संजय कुमार, शिक्षा निदेशालय के निर्देशक प्रो सुशिल कुमार सिंह तथा कार्यक्रम के संयोजक प्रो मो एहतेशाम खान मौजूद थे । कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई, जिसके बाद कार्यक्रम संयोजक के द्वारा विश्विद्यालय की तरफ से सभी आगंतुकों का स्वागत किया गया और कार्यक्रम की विषय वस्तु पर प्रकाश डाला गया। इसके पश्चात् मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एस पी शाही ने अपने वक्तव्य में भारत के अध्यक्षता में जी-20 की भूमिका  एवं प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के सशक्त नेतृत्व की बात कही। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी  से जब पूरा विश्व त्रस्त था, भारत में अपेक्षाकृत कम मृत्यु हुईं जिसका कारण भारत का योग एवं आयुर्वेद की परंपरा रही।  गांधीजी की यात्रा की शुरुवात दक्षिण अफ्रीका से हुई और वहां के उप उच्चायुक्त का मगध विश्वविद्यालय में आना गर्व की बात है जो पिछले दो दशकों में संभव नहीं हो पाया था।  
दक्षिण अफ्रीका  के  उप उच्चायुक्त ने अपने वक्तव्य में बिहार  के भोजन की तारीफ़ से शुरुवात करते  हुए  कहा कि वे इस प्रान्त में इस कार्यक्रम के माध्यम से बौद्धिक रूप  से पोषित होने  की आकांक्षा रखते है। उन्होंने कहा बिहार की धरती से शून्य का आविष्कार हुआ जिससे वर्तमान में   डिजिटिलाइजेशन  की प्रक्रिया संभव हो सकी। ये मानवता के लिए अप्रतिम योगदान था।  उन्होंने भारत और दक्षिण अफ्रीका  के  सम्बन्धो को ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में समझाया ।  भारत से प्रवासी मजदूर दक्षिण अफ्रीका में कार्य करते थे।  गाँधी जी के विषय में उन्होंने कहा कि भारत ने दक्षिण अफ्रीका को वकील दिया जिसे दक्षिण अफ्रीका ने महात्मा के रूप में लौटाया (आपने हमें वकील दिया हमने आपको महात्मा दिया )। संयुक्त राष्ट्र में  भेद रंग भेद का मुद्दा सर्वप्रथम भारत के प्रतिनिधि द्वारा उठाया गया।  वर्तमान  में दोनों देश 'आल वेदर फ्रेंड' हैं तथा हम अपने कूटनीतिक सम्बन्ध के तीस वर्ष पुरे करने वाले है। 22 नवंबर को होने वाले जी-20 सम्मेलन के सन्दर्भ में उन्होंने कहा कि  भारत सिर्फ बयानबाजी पर विश्वास नहीं करता बल्कि जी-20 आउटकम को व्यावहारिक जामा पहनाने के लिए तत्पर है। उन्होंने जी-20 सदस्यों में सहमति बनाना, खासकर यूक्रेन-रूस युद्ध को ले कर, को बड़ी चुनौती बतायी जिस पर भारत ने विजय हासिल की।  मध्य मार्ग लेना तथा कड़े रुख को छोड़ना भारतीय कूटनीति की मुख्य विशेषता है। जी-20 व्यक्ति केंद्रित दस्तावेज़ है तथा ये सतत विकास उद्देश्यों की पूर्ति की बात करता है। भारत  के समक्ष जो चुनौतियां है, जैसे कि गरीबी , बेरोजगारी एवं जलवायु परिवर्तन, वह उसके जैसे अन्य देशो की भी है तथा भारत  इसके लिए संवेदनशील है। जलवायु परिवर्तन की त्रासदी से सबसे ज्यादा प्रभावित विकासशील देश होंगे। विकसित देशो को इसके लिए अधिक निवेश एवं तकनीकी सहायता प्रदान करना चाहिए। दोनों देश ब्रिक्स और इब्सा  के भी सदस्य हैं तथा समावेशी बहुपक्षवाद में आस्था रखते हैं।  विश्व के हित में दोनों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता तथा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाए जैसे कि विश्व बैंक तथा  अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में आवाज़ उठाने के लिए एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भारत और दक्षिण अफ्रीका की दावेदारी को बहुत मजबूती से उठाया और कहा कि भारत और दक्षिण अफ्रीका दोनों को बदलती अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितयों के परिप्रेक्ष्य में सुरक्षा परिषद् में सदस्यता दी जानी चाहिए।  ए एन कॉलेज (पटना), पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ संजय कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत की अध्यक्षता ने जी-20 देश में अफ्रीका की आवाज को मुखर किया है अफ्रीकन यूनियन के 55 देश को सामूहिक रूप से जी-20 में जोड़ा जाना एक महत्वपूर्ण सफलता रही है   उन्होंने इस बात पर बोल दिया कि दो देशों के साझे हित हैं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में संबंध बनाने पर मजबूर करते हैं और भारत की वसुधैव कुटुंबकम एवं सांस्कृतिक विविधता की जो अवधारणा है वह अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत को अपने सांस्कृतिक आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को मजबूत बनाने में सहायक रहते हैं । जी-20 की अफ़्रीकी आर्थिक एकीकरण समिति के सदस्य अविनाश ज्ञान ने अपने उद्बोधन कि शुरुआत जी-20 में बिहार राज्य से संबंधित विशेषज्ञों के योगदान से आरम्भ किया जिसमे उन्होंने मुक्तेश प्रियदर्शी, अमिताभ कांत और विदेश सेवा केआशीष का उदाहरण दिया थे । उन्होंने अपने भाषण में जी-20 के कार्यकरण और इसकी संरचना पर प्रकाश डाला । उन्होंने जी-20 के अंतर्गत कार्य करने वाले विभिन्न संगठनों जैसे सिविल-20, लेबर-20, पार्लियामेंट-20, साइंस-20 अर्बन-20, यूथ-20 वूमेन-20 इत्यादि समूह के कार्यों और महत्व पर ध्यान आकृष्ट किया।  उप-कुलपति जी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में जी-20 सम्मेलन के मुख्य निष्कर्षों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जी-20 में शत प्रतिशत सहमति बनाना भारतीय कूटनीति की प्रमुख सफलता रही ।  उन्होंने विशेष रूप से इस बात को रेखांकित किया कि किस तरह भारत के कूटनीतिक प्रयासों से जी-20 में यूरोपीय समूह के सदस्यता को अफ़्रीकी समूह की सदस्यता से संतुलित करने कि कोशिश की गयी है ।  कार्यक्रम के अंत में आयोजन सचिव डा अंजनी कुमार घोष द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया । मंच सञ्चालन डा प्रियंका सिंह, डा श्रद्धा ऋषि एवं डा दिव्या मिश्रा द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। कार्यक्रम के अंत राष्ट्रगान गाकर किया गया। श्री सेड्रिक चार्ल्स जी ने एयरपोर्ट पर विदा होते ही कार्यक्रम संयोजक को धन्यवाद सन्देश भेजा जिसमे उन्होंने कुशल विश्वविद्यालय नेतृत्व तथा उनकी सहृदय आतिध्य भावना की अत्यधिक  प्रशंसा की । उन्होंने विश्विद्यालय के कुलपति, प्रतिकुलपति, शिक्षकों तथा विद्यार्थियों सभी का ह्रदय से धन्यवाद ज्ञापित किया । इस अवसर पर विश्वविद्यालय के गणमान्य शिक्षक  डा ममता मेहरा, ब्रजेश कुमार राय, डा एकता कुमारी, प्रो मुकेश कुमार, प्रो जे एन पी सिंह , प्रो रवि शंकर जमुआर, डाॅ प्रमोद चौधरी, डा राजेश कुमार, डा गोपाल जी सिंह, डा त्रिपुरारी सिंह चौहान, डा अमित कुमार, डा मुंद्रिका प्रसाद यादव और शोधार्थी कुमारी साखी ,ब्यूटी कुमारी, शालिनी कुमारी, किरण, पंकज,अंकित,साधना, बालमुकुंद,शैलेन्द्र कुमार, अशोक कुमार,  दीपक कुमार, कुंदन कुमार, आदि सम्मिलित थे।