10 नवम्बर 2023 से आयोजित होगा किसान चैापाल कार्यक्रम।*

*10 नवम्बर 2023 से आयोजित होगा किसान चैापाल कार्यक्रम।*

*प्रत्येक दिन दो किसान चैपाल एक प्रखंड के दो ग्राम पंचायतों में आयोजित होगा।*

*कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र के विषेषज्ञ/वैज्ञानिक/प्रसार पदाधिकारी/कर्मिया के द्वारा किसानों को नवीनतम तकनीकी जानकारी के साथ-साथ विभागीय योजनाओं के बारे में दी जायेगी जानकारी।*

रिपोर्टः डीकेपंडित गयाबिहार

दिनांक 10 नवम्बर 2023 से गया जिला के सभी प्रखंडों में किसान चैपाल कार्यक्रम का आयोजित किया जायेगा। इस कार्यक्रम में वैज्ञानिक/विषेशज्ञ/प्रसार पदाधिकारी/कर्मी के माध्यम से कृषि सम्बद्ध विभाग के योजनाओं एवं आधुनिक तकनीकी से खेती करने का प्रचार-प्रसार किया जाना है। किसान चैपल के माध्यम से जीरोटिलेज एवं सीड ड्रील से खेती के महत्व, रबी मौसम में उगायी जाने वाली फसलों की खेती, फसल विविधिकरण, रबी मौसम में विषेषकर मक्का की खेती, स्वीट कार्न तथा बेबी काॅर्न, जैविक प्रोत्साहन कार्यक्रम, जलवायु अनुकूल खेती, चतुर्थ कृषि रोड मैप के विभिन्न आयामों का प्रचार- प्रसार एवं कृषि विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी सहित अन्य संबंधित विशयों का भी जानकारी दिया जायेगा ताकि किसान इसका अधिक-से-अधिक लाभ उठा सकें। प्रत्येक पंचायत में आयोजित होने वले किसान चैपाल में योजना एवं नवीनतम तकनीकों से संबंधित जानकारी हेतु पम्पलेट/हैण्डबील एवं प्रसार पुस्तिका आदि किसानों के बीच विरित किया जायेगा। किसान चैपाल के माध्यम से विभिन्न फसलों की उत्पादकता एवं उत्पादन बढ़ाने के लिये मिट्टी जाँच के आधार पर संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग, समय से फसल की बुआई, फफँुदनाषी एवं कीटनाषी से बीजोपचार, सिंचाई के लिये जल प्रबंधन, खरपतवार नियंत्रण, दीमक एवं चूहा नियंत्रण, समेकित कीट प्रबंधन तथ समेिकत पोशक तत्व प्रबंधन आदि के बारे में किसानों को जानकारी उपलब्ध कराया जायेगा। फसल विविधिकरण के तहत मक्का, दलहन एवं तेहलन की खेती पर विषेश ध्यान दिया जायेगा। संबंधित पंचायत के लिये उसके मिट्टी एवं उपलब्ध संसाधन के अनुसार फसल विषेश/एक्टीभीटी का चयन कर खेती करने का सुझाव दिया जायेगा। इस कार्यक्रम के माध्यम से किसानों को धान्य फसलों, सब्जी उत्पादन, फल उत्पादन, मधुमक्खी पालन, जैविक खेती एवं मषरुम उत्पादन से संबंधित कठिनाईयों का निराकरण पंचायत स्तर पर वैज्ञानिकों तथा कृषि एवं संबद्ध विभागों के पदाधिकारियों द्वारा किया जायेगा। कृषि विज्ञान केन्द्र के  वैज्ञानिकों के द्वारा बताया जायेगा कि विभिन्न फसल अवषेषों पर वेस्ट डी-कम्पोजर का उपयोग कर सकते है। वेस्ट-डी-कम्पोजर पुआल को गलाकर बहुत ही अच्छा जैविक खाद तैयार करने का तरीका बताया जायेगा तथा फसल अवषेश को जलाने से वातावरण एवं मिट्टी को होने वाले नुकसान के बारे में विस्तृत जानकारी दी जायेगी।