उर्दू निदेशालय मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग, बिहार एवं ज़िला प्रशासन, गया के संयुक्त तत्वावधान में *फरोग-ए-उर्दू सेमिनार एवं मुशायरा* कार्यक्रम का आयोजन

उर्दू निदेशालय मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग, बिहार एवं ज़िला प्रशासन, गया के संयुक्त तत्वावधान में *फरोग-ए-उर्दू सेमिनार एवं मुशायरा* कार्यक्रम का आयोजन
               गया, 24 फरवरी, 2021, 
रिपोर्टः डीके पंडित
बिहार के जिला गया में उर्दू निदेशालय मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग, बिहार एवं ज़िला प्रशासन, गया के संयुक्त तत्वावधान में *फरोग-ए-उर्दू सेमिनार एवं मुशायरा* कार्यक्रम का आयोजन संग्रहालय, गया में किया गया। 
               कार्यक्रम का शुभारंभ (सेवानिवृत्त) पुलिस महानिरीक्षक श्री मासूम अज़ीज़ काज़मी एवं उप विकास आयुक्त, गया श्री सुमन कुमार द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया।
              कार्यक्रम में उप विकास आयुक्त श्री सुमन कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि उर्दू एक मीठी जुबान है, जिसे हमें जानना चाहिए। उन्होंने बताया कि उर्दू सिर्फ लिखावट देखने से मुश्किल लगता है लेकिन जुबान बेहत आसान है। उर्दू ज़ुबान दुनिया की चौथी सबसे बड़ी जुबान में से एक है। उन्होंने अपने स्कूल के समय के बारे में बताया कि उन्होंने स्वयं उर्दू की तालीम ली है। आज के समय मे उर्दू ज़ुबान का इस्तेमाल बहुत कम दिख रहा है इसकी वजह है कि हम सब उर्दू से भाग रहे है, आज की पीढ़ी/बच्चे को उर्दू की खूबियों के बारे में मालूम नहीं। हमे अपने बच्चों को उर्दू के बारे में बातें करनी चाहिए, उन्हें उर्दू की बेहतर तालीम के लिए प्रेरित करें। साथ ही जो लोग उर्दू जुबान का इस्तेमाल कर रहे है, उनका हौसला अफजाई करें। उन्होंने बताया कि ज़ुबान कोई भी हो जुबान किसी मज़हब की मोहताज नहीं है। अंत मे उन्होंने कहा कि मुझे उर्दू सीखने की लालसा है और मैं उर्दू ज़रूर सीखूंगा। 
              इसके उपरांत विभिन्न स्कूल से आये छात्र छात्राओं ने *नारी शिक्षा* विषय पर अपने अपने विचार रखे। इसी बीच एलिगेंट पब्लिक स्कूल की छात्रा *कतीफ़ा एरम* द्वारा अपने भाषण में बताया कि औरतों को भी शिक्षा लेना है आवश्यक है, इससे बहुत सारे फायदे हैं। एक बच्चे का पहली शिक्षक उनकी माँ और पहला स्कूल बच्चे का घर होता है। यदि एक औरत शिक्षित नहीं रहेगी तो वो अपने बच्चे को कैसे बेहतर तालीम दे सकेगी। स्कूल में हमे सिर्फ कामयाबी की तालीम दी जाती है, लेकिन घर से बुनियादी तालीम मिलती है जो सबसे ज़्यादा ज़रूरी है। तालीम प्राप्त करने के बाद हमे कोई गुमराह नहीं कर सकता है। हम शिक्षित हो जाने के बाद सही गलत की फर्क कर सकते हैं। किसी चीज़ के लिए किसी और का मोहताज नहीं होएंगे। 
              इसके उपरांत अन्य छात्र छात्राओं यथा ग़ुलाम गौस, सुरखाब आलम, मो० दिलशाद आलम एवं अब्दुल कादिर ने भी भाग लिया। 
              इस पश्चात आलेख पाठ में उर्दू शिक्षण में आने वाली समस्या एवं उनका समाधान विषय पर चर्चा की गई। समारोह में शामिल वक्ताओं ने प्राथमिक शिक्षा से लेकर कॉलेज तक उर्दू की समृद्धि के लिए किए जाने वाले प्रयासों को ईमानदारी से निभाने की बात कही। कई वक्ताओं ने कहा कि बच्चे माँ से बोलना सीखते हैं। ऐसी स्थिति में यदि माँ पढ़ेगी तो निश्चित है कि बच्चे भी उर्दू पढ़ेंगे और समझेंगे।
              इसके उपरांत मुशायरा में विभिन्न कवियों द्वारा शानदार शेर-ओ-शायरी पेश किया गया। उर्दू शायर जनाब शाहिद अख्तर ने अपने शायरी में बताया कि *चिराग बुझ गया, लेकिन जला हुआ कुछ है... उजाला मेरी जुबां का, बचा हुआ कुछ है।* *जिसकी शबीह, जिसका शरापा बुलंद है, आंखों में मेरी उर्दू की दुनिया बुलंद है...।* इत्यादि जैसे अनेको शेर पेश किए गए। 
              कार्यक्रम में प्रभारी पदाधिकारी, ज़िला उर्दू भाषा कोषांग, गया सुश्री आरूप, राष्ट्रीय बचत पदाधिकारी, गया मो० ज़ाकिर हुसैन, सहायक कोषागार पदाधिकारी, गया मो० सलीम अंसारी, श्री अशोक सम्राट, कविगण में जनाब मोनाजिर हसन शाहीन, श्री हरेंद्र गिरी शाद, मोहतरमा तबस्सुम फरहाना एवं अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।