पर्यावरण असंतुलन से निपटने के लिए कृषि विभाग द्वारा जैविक खेती करने पर दी जा रही है विशेष सलाह

*पर्यावरण असंतुलन से निपटने के लिए कृषि विभाग द्वारा जैविक खेती करने पर दी जा रही है विशेष सलाह*                       अजय कुमार पाण्डेय।   
औरंगाबाद: ( बिहार ) कृषि विभाग के तत्वधान में *बामेती सभागार, पटना में राज्य - स्तर पर जल - जीवन - हरियाली अभियान के तहत आयोजित जल - जीवन - हरियाली दिवस का वेब कास्टिंग के माध्यम से मुख्यालय औरंगाबाद स्थित समाहरणालय कक्ष में सीधा प्रसारण किया गया! इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से वैकल्पिक फसल, टपकन सिंचाई, जैविक खेती एवं अन्य नई तकनीकों के उपयोग पर परिचर्चा की गई! राज्य स्तर पर विकास आयुक्त, पटना की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधान सचिव, ग्रामीण विकास विभाग, लघु जल संसाधन विभाग, सचिव, कृषि सह पशु एवं मत्स्य संसाधन, कृषि निदेशक, मत्स्य निदेशक, उधान निदेशक, मिशन निदेशक, जल - जीवन - हरियाली बिहार, पटना के अलावा कृषि एवं संबद्ध विभागों के सभी राज्य - स्तरीय वरीय पदाधिकारियों तथा विभिन्न जिलों से आए प्रगतिशील कृषकों ने अपने कृषि संबंधी अनुभवों से अवगत* कराया! परिचर्चा के दौरान *पर्यावरण असंतुलन की चुनौतियों से निपटने के लिए जैविक खेती करने पर विशेष बल देने की सलाह* दी गई! *पर्यावरण असंतुलन की समस्या के समाधान से मानव जीवन पर पड़ने वाले कुप्रभाव से बचा जा सकता है! जल उपयोगिता के महत्व पर परिचर्चा में बताया गया है कि टपकन ( ड्रिप विधि ) से फसलों की सिंचाई करने से 60% पानी की बचत होती* है! इस विधि के माध्यम से *अपनी आवश्यकता अनुसार फसलों को जल प्राप्त* होता है जिससे *कम पानी के उपयोग से फसलों में अपेक्षित उत्पादकता प्राप्त किया जा सकता* है! इसमें *सिंचाई के साथ उर्वरक एवं दवा आदि का भी प्रयोग एक साथ किया जा सकता* है! इससे *उर्वरकों की मांग कम हो जाने के कारण लागत में कमी हो जाने से किसानों को बचत होने से उनकी आय में भी वृद्धि हो*
 *कृषि विभाग द्वारा बदलते मौसम के अनुकूल खेती करने की योजना के तहत शुन्य जुलाई पद्धति को अपनाकर जीरो टिलेज मशीन/ हैप्पी सीडर से धान, गेहूं, मसूर एवं चना की खेती करने की सलाह दी गई! जलवायु के तापमान‌ मे अचानक वृद्धि होने की वजह से फसलों की विकास एवं उनके ऊपज पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से जलवायु के बढ़ते तापमान को नियंत्रित किया जाना अत्यंत आवश्यक है! कृषि विशेषज्ञों से प्राप्त जानकारी  अनुसार पिछले एक् सौ सालों में तापमान में लगभग 1 डिग्री सेंटीग्रेड की वृद्धि होने के कारण हुए मौसम के बदलाव से फसलों की उपज प्रभावित हो रही है! आगामी एक सौ वर्षों में तापमान के 4 से 5 डिग्री सेंटीग्रेड बढ़ने की संभावना को देखते हुए कृषि विभाग द्वारा मौसम अनुकूल फसल पद्धति के तहत खेती संबंधी योजना को प्रारंभ करने से तापमान में वृद्धि को 1 डिग्री सेंटीग्रेड तक सीमित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की गई* है! इस कार्यक्रम के दौरान  *समाहरणालय स्थित सभाकक्ष में औरंगाबाद के उप विकास आयुक्त, अंशुल कुमार, औरंगाबाद, वन प्रमंडल पदाधिकारी, तेजस जयसवाल, औरंगाबाद जिला कृषि पदाधिकारी, अश्वनी कुमार, औरंगाबाद परियोजना निदेशक, सुधीर कुमार राय, वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान, कृषि विज्ञान केंद्र सीरीस, आत्मा डॉक्टर नित्यानंद, जिला मत्स्य पदाधिकारी, उपनिदेशक ( कृ0 अभि0 ) भूमि संरक्षण कुंवर सिंह, सहायक निदेशक ( भूमि संरक्षण ) जितेंद्र कुमार, सहायक निदेशक उधान, सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण मोहम्मद जावेद, सहायक निदेशक रसायन, जिला मिट्टी जांच प्रयोगशाला, औरंगाबाद, कुणाल सिंह,, सहायक निरीक्षक माप एवं तौल विभाग, औरंगाबाद, सुधीर कुमार एवं तकनीकी विभागों के कार्यपालक अभियंता तथा जिले के विभिन्न प्रखंडों से आए प्रगतिशील किसान मौजूद* हुए!