शिक्षित होंगी जब महिलाएं, शिक्षित होगा सकल समाज

*‘शिक्षित होंगी जब महिलाएं, शिक्षित होगा सकल समाज ...’* 

*-अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी के नेतृत्व में हुआ ओजस्विनी की काव्य गोष्ठी का आयोजन*  

गया। अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद की सहयोगी संस्था 'ओजस्विनी' द्वारा आठ मार्च को मनाये जाने वाले अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के मद्देनज़र 'शिक्षित महिलाएं, शिक्षित समाज' विषय पर संगठन की जिलाध्यक्षा डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी के निर्देशन में युवाओं के लिए एक ऑनलाइन काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने काफी उत्साह के साथ भाग लिया। डॉ प्रियदर्शनी ने प्रतिभागियों को 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस' की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। काव्य-गोष्ठी का शुभारंभ सुश्री दिव्या मिश्रा द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना "या कुंदेंदु तुषार हार धवला" से हुआ। स्वरचित काव्य पाठ की श्रृंखला में प्रथम कड़ी के रूप में युवा कवयित्री दिव्या मिश्रा ने अपनी कविता, "बंदिशों की बेड़ियों को तोड़कर उड़ना है हमें, पुरुषों की बराबरी नहीं, उनसे आगे बढ़ना है हमें" का पाठ किया। काव्य-गोष्ठी के मूल प्रतिपाद्य को अपनी स्वरचित कविता के जरिये प्रस्तुत करते हुए कवयित्री डॉ प्रियदर्शनी ने कहा,-"शिक्षित होंगी जब महिलाएं, शिक्षित होगा सकल समाज। नूतन संस्कृति, नयी सभ्यता का होगा नवीन आगाज़।। शोषण होगा बंद, हमें होगा नव परिवर्तन पर नाज। निखरेगा आने वाला कल, निखर-निखर जाएगा आज।" 

आदर्श मध्य विद्यालय, चिरैली की विज्ञान शिक्षिका कवयित्री डॉ ज्योति प्रिया ने अपनी कविता "पढ़ें बेटियाँ, बढ़ें बेटियाँ का नारा सच करना होगा, कैसी भी हो परिस्थिति महिला को आगे बढ़ना होगा" के जरिये जीवन में आगे बढ़ने को आतुर महिलाओं का उत्साहवर्द्धन किया। सपना ने कहा, "नारी को सम्मान मिले, घर में खुशियों का फूल खिले।" ज्योति कुमारी की कविता थी, "तू निकल खुद की खोज में, क्यूं तू हताश है? तू चल वक्त को भी तेरे वज़ूद की तलाश है।"  दीक्षा कुमारी ने महिला विरोधी भेदभाव के विरुद्ध अपनी ओजमय आवाज़ को और बुलंद करते हुए कहा -"शिक्षित महिला है विकास, उन्नति का ज़रिया, भेदभाव करने वालों लो बदल नज़रिया।" युवा कवयित्री माही राज गुप्ता ने नारी शिक्षा की वकालत करते हुए कहा, "पढ़ाओ, पढ़ाओ हम बेटियों को भी पढ़ाओ, देश की उन्नति में हमें भी भागीदार बनाओ।" स्नेहा ने कहा,"पढ़ेंगी महिलाएं, नया समाज गढ़ेंगी महिलाएं।" ओजस्विनी' से जुड़े पुरुष सदस्यों का प्रतिनिधित्व करते हुए अश्विनी कुमार की काव्याभिव्यक्ति थी- "नारी माता, बहन है, नारी जग का मूल। नारी चंडी रूप है, नारी कोमल फूल।। नारी के गुणगान से भरा हुआ इतिहास। बिन नारी संभव नहीं जग का पूर्ण विकास।।" हेमा सिंह ने नारी के दृढ संकल्प पर प्रकाश डालते हुए कहा, "सदियों से हमने सपनों को सजाया है, जब-जब मौका मिला उसे पूरा कर दिखलाया है।" अमीषा सिन्हा ने कहा "मैं हूं नारी, मैं खुद पढ़ूंगी, खुद बढ़ूंगी। सफलता की सीढ़ी पर चढ़ूंगी।" कार्यक्रम में हेमा कुमारी, प्रीति, ईशान सिन्हा सहित 'ओजस्विनी' की अन्य युवा सदस्य भी उपस्थित थीं। अंत में डॉ प्रियदर्शनी के शांति पाठ से कार्यक्रम का समापन हुआ।