ज़िला पदाधिकारी, गया श्री अभिषेक सिंह की अध्यक्षता में गर्मी/लू (हीट वेव) को देखते हए, एइएस (एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) तथा जेई (जापानीज एन्सेफलाइटिस) के बचाव एवं सुरक्षा के संबंध में विस्ता

रिपोर्टः दिनेश कुमार पंडित गया :--(बिहार)ज़िला पदाधिकारी, गया श्री अभिषेक सिंह की अध्यक्षता में गर्मी/लू (हीट वेव) को देखते हए, एइएस (एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) तथा जेई (जापानीज एन्सेफलाइटिस) के बचाव एवं सुरक्षा के संबंध में विस्तार से चर्चा करते हुए संबंधित पदाधिकारियों/चिकित्सकों को निदेश दिए गए।
             बैठक में बताया गया कि अधिक गर्मी एवं तेज धूप के कारण हमारे शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा कभी कभी जानलेवा भी साबित हो सकता है। बैठक में बताया गया कि लू चलने पर अधिक से अधिक पानी पिये तथा सफर के अपने साथ पानी अवश्य रखें। ढीले ढाले एवं सूती कपड़े का प्रयोग करें, चश्मा का प्रयोग करते हुए तौलिया तथा गमछा भिगोकर अपने सर पर रखे तथा अपने चेहरा को पोछते रहे। अधिक प्रोटीन वाले भोजन यथा मांस, अंडा, सूखे मेवे का प्रयोग कम करें तथा अधिक पानी की मात्रा वाले मौसमी फल का सेवन करें। शरीर मे पानी तथा नामक की कमी न हो, इसके लिए लस्सी, नामक चीनी का घोल, निम्बू पानी, आम का रस इत्यादि का सेवन करें। अगर किसी व्यक्ति को लू लग जाये तो बदन को गीले कपड़े से पोछे तथा ठंडे पानी से नहलाये। शरीर के तापमान को कम करने का प्रयास करें। व्यक्ति को ओआरएस, निम्बू पानी, नामक चीनी का घोल पिलावें। व्यक्ति के हालात में सुधार न हो तो नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र में अवश्य ले जाये। 
              बैठक में एईएस/जेई के संबंध में ज़िला प्रतिरक्षण पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि लगभग 80% बच्चो को टीका लगाया जा चुका है, शेष 20% छुटे हुए बच्चो की सूची तैयार की जा रही है। इसी माह टीका लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि ज़िले में 15,000 डोज़ उपलब्ध है, यह टीका 9 माह के बच्चो को पहली खुराक तथा 16 से 24 माह के बच्चो को दूसरी खुराक दी जाएगी। बैठक में बताया गया कि अनुग्रह नारायम मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एईएस/जेई की जांच की सुविधा उपलब्ध है। ज़िला पदाधिकारी द्वारा निदेश दिया गया कि स्लम क्षेत्र में रहने वाले बच्चो पर विशेष ध्यान दे तथा उन्हें सबसे पहले टीका लगावे। साथ ही नगर आयुक्त, सभी कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत तथा सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी को निदेश दिया गया कि वे रात के समय सुअरबाड़ा क्षेत्र पर विशेष फोकस करते हुए फोगिंग करावें। सूर्यास्त के बाद फोगिंग करना अधिक लाभदायक होगा।
                बैठक में वेक्टर डिजीज प्रभारी डॉ० एच इ हक द्वारा बताया गया की एईएस/जेई के प्रमुख लक्षणों में तेज बुखार, सर दर्द होना, डिहाइड्रेशन (शरीर मे पानी की कमी होना), बदन ऐंठना, बदन में लगवा की शिकायत होने, शारीरिक संतुलन ठीक न होना इत्यादि है। उन्होंने बताया कि तेज बुखार होने पर बदन को पानी से पोछे तथा पैरासिटामोल का टेबलेट/सिरप दे। उन्होंने बताया कि बच्चों को कार्बोहाइड्रेट से युक्त भोजन यथा सकरकंद, आलू, चीनी का पानी इत्यादि पिलाना लाभदायक होगा। खाली पेट बच्चो को कभी न सोने दें। 
                बैठक में बताया गया कि वर्ष 2019 में एईएस के चौवन मामले मिले थे, जिसमें 13 बच्चो की मृत्यु हुई थी। जेई के 12 मामलों में से 2 की मृत्यु हुई थी। 2020 में जेई के 06 मामले पाए गए, जिनमे से 1 बच्चे की मृत्यु हो गयी। 
                 बैठक में ज़िला पदाधिकारी ने सिविल सर्जन, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को निदेश दिया कि वे एईएस/जेई बुखार के बचाव एवं सुरक्षा हेतु सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, स्वास्थ्य उओ केंद्र, ज़िला अस्पताल को अलर्ट मोड में रखने का निदेश दिया गया। बैठक में नगर आयुक्त, सिविल सर्जन, डीआईओ, अधीक्षक, अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज, जिला पंचायत राज पदाधिकारी, डीपीएम स्वास्थ्य, शिक्षा विभाग के पदाधिकारी सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित है।